
वाराणसी: दुर्घटनाओं में तेज़ी से हो रही वृद्धि से चिंतित परिवहन विभाग सड़क सुरक्षा को लेकर चलाए जा रहे विशेष अभियान के तहत, वाराणसी में 17 खतरनाक 'ब्लैक स्पॉट्स' की पहचान कर उन्हें दुरुस्त कर दिया है. परिवहन विभाग ने संबंधित विभागों के साथ समन्वय स्थापित कर इन दुर्घटना संभावित क्षेत्रों को सुरक्षित बनाने का काम पूरा किया है. उक्त दावा एआरटीओ प्रशासन मनोज प्रसाद वर्मा ने किया है.
33 माह में 773 लोगों ने सड़क दुर्घटनाओं में तोड़ा दम
वैसे आंकड़ों की बात करें तो बीते साल उत्तर प्रदेश के जिन शहरों में सर्वाधिक लोगों की जान सड़क दुर्घटनाओं में गई, उनमें बनारस का नौवां स्थान हैं. वहीं इस जिले में पिछले 33 महीनों में सड़क दुर्घटनाओं में कुल 773 लोगों की मौत हुई, जिनमें से 230 मौतें राजमार्गों पर हुए सड़क हादसों में हुई. इन राष्ट्रीय राजमार्ग के चार थाना क्षेत्रों, बड़ागांव, चौबेपुर, मिर्जामुराद और फूलपुर में एक जनवरी 2023 से अब तक सड़क हादसों में 229 लोगों की जान जा चुकी है.

गौरतलब है कि इनमें से ज़्यादातर हादसे दिन में हुए, जबकि कुछ मामलों में दुर्घटना कारण चालक का सो जाना या उसे झपकी आ जाना रहा. ये आंकड़े इसलिए भी डराने वाले हैं क्योंकि सड़क हादसों पर रोक लगाने के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में लगभग हर माह सड़क सुरक्षा समिति की बैठकें हो रही हैं. जिलाधिकारी की अध्यक्षता में लगभग हर माह सड़क सुरक्षा समिति की बैठकें हो रही हैं. बैठक में परिवहन, एनएचएआई, पीडब्ल्यूडी, उच्च शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, प्राथमिक शिक्षा और पुलिस समेत सभी नोडल विभाग के अधिकारी शामिल होते हैं.
क्या होता है ब्लैक स्पॉट ?
एआरटीओ के अनुसार किसी भी सड़क के उस हिस्से को 'ब्लैक स्पॉट' घोषित किया जाता है जहां तीन साल के भीतर 5 बड़ी दुर्घटनाएं हुई हों और उनमें कम से कम 10 लोगों की मौत हुई हो. ये स्थान गंभीर दुर्घटनाओं के लिए अत्यधिक संवेदनशील होते हैं.

ये आठ स्पाट हैं ज्यादातर खतरनाक
बता दें कि ज़िले में आठ ब्लैक स्पॉट ऐसे हैं जहां सबसे ज़्यादा दुर्घटनाएं हुईं है. ये स्पॉट रामनगर थाना क्षेत्र में विश्व सुंदरी पुल से भीटी से टगरा पॉइंट तक और सुजाबाद, रोहनिया थाना क्षेत्र में मोहनसराय बाईपास और अमरा अखरी बाईपास. दूसरी ओर लोहता थाना क्षेत्र में धमरिया पुल बड़ागाँव थाना क्षेत्र का हरहुआ बाज़ार और चिलबिला, शिवपुर थाना क्षेत्र में गिलट बाज़ार से तरना तक सबसे खतरनाक क्षेत्र के रूप में सामने आए हैं.
दुरुस्तीकरण और कार्य प्रणाली
एआरटीओ ने दावा किया है कि परिवहन विभाग ने संबंधित विभागों (जैसे पीडब्ल्यूडी, एनएचएआई, आदि) से सामंजस्य स्थापित कर इन ब्लैक स्पॉट्स पर जरूरी सुधार कार्य करवाए हैं. इन कार्यों में शामिल हैं.
* साइन बोर्ड लगाना: पहचान किए गए दुर्घटना संभावित क्षेत्रों को इंगित करने के लिए संबंधित विभाग द्वारा चेतावनी और सूचनात्मक साइन बोर्ड लगाए गए हैं.
* अन्य सुधार: जरूरत के अनुसार, सड़क इंजीनियरिंग में सुधार, गति अवरोधक (स्पीड ब्रेकर) लगाना, मार्किंग को स्पष्ट करना समेत अन्य सुरक्षा उपायों को लागू किया गया है.
एआरटीओ प्रशासन ने बताया कि परिवहन विभाग का उद्देश्य इन खतरनाक स्थानों को सुरक्षित बनाना और सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों की संख्या को कम करना है.
वैसे अब तक हुई दुर्घटनाओं के पीछे कई कारण पाए गए हैं जिनमें तेज़ गति से वाहन चलाना, राजमार्ग पर अनाधिकृत मोड़, सड़क किनारे लगी अवैध खाद्य दुकानें और बेतरतीब ढंग से वाहनों को खड़ी किया जाना सामने आया है. कई मामलों में लोग बिना सीट बेल्ट और हेलमेट पहने मिले.




