
Asrani Iconic Roles: बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता गोवर्धन असरानी अब हमारे बीच नहीं रहे. अपने कॉमेडियन किरदारों से दर्शकों को गुदगुदी लगाने वाले वाले एक्टर असरानी का उस वक्त निधन हो गया जब पूरा देश दीवाली पर्व की तैयारियों में व्यस्त था. 84 (चौरासी) साल के असरानी पिछले काफी दिनों से फेफड़ों की समस्या से जूझ रहे थे, जिन्हें इलाज के लिए 4 दिन पूर्व अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. पर अफसोस उनकी हालत इतनी गंभीर थी कि किसी भी हालत में उन्हें बचाया नहीं जा सका. इस गंभीर बीमारी के चलते उन्होंने मुंबई में दीवाली के दिन अपने जीवन की अंतिम सांस ली. हंसी-ठठोले लगाने वाले असरानी की मौत से पूरा फिल्मी जगत शोक में डूबा हुआ है.

ब्लॉकबस्टर फिल्म शोले में अंग्रेजों के जमाने के जेलर का रोल निभाने वाले गोवर्धन असरानी के निधन की जानकारी उनके मैनेजर बाबूभाई थिबा ने दी. उन्होंने बताया कि निधन से पहले एक्टर ने अपनी पत्नी के सामने इच्छा जाहिर की थी कि उनकी मौत की खबर किसी को न दी जाए, क्योंकि वो हंगामा नहीं चाहते थे. अंतिम संस्कार के बाद ही सबको इसकी खबर दी जाए. इसी के चलते निधन के तुरंत बाद सांताक्रूज के शांतिनगर स्थित श्मशान में उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया. जहां उनके परिजनों ने उन्हें नम आंखों से विदाई दी.

एक्टर गोवर्धन असरानी के निधन पर कई बॉलीवुड सितारों ने दुख जताया. वहीं उनके साथ फिल्म खट्टा-मीठा, भूल भुलैया, दे दना दन कर चुके अक्षय कुमार ने भावुक अंदाज में उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए असरानी के साथ एक अनदेखी तस्वीर शेयर कर लिखा- असरानी जी के निधन की खबर सुनकर स्तब्ध और स्पीचलेस हूं. बस एक हफ्ते पहले ही हम "हैवान" की शूटिंग पर मिले थे और सबसे गर्मजोशी से भरी एक झप्पी साझा की थी. बहुत प्यारे इंसान थे वो, उनकी कॉमिक टाइमिंग वाकई लाजवाब थी. मेरी कई कल्ट फिल्मों, हेरा-फेरी, भागम भाग, दे दना दन, वेलकम और अब हमारी अनरिलीज्ड भूत बंगला और हैवान में मैंने उनके साथ काम किया और उनसे बहुत कुछ सीखा. यह हमारी इंडस्ट्री के लिए हमारे बीच से उनका जाना बहुत बड़ा दुख है.

असरानी सर, आपने हमें हंसने के लाखों कारण दिए, भगवान आपकी आत्मा को शांति दे. वहीं अनुपम खेर ने असरानी के निधन की खबर मिलने के बाद भावुक होते हुए एक वीडियो शेयर किया है. उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले ही उनकी असरानी जी से मुलाकात हुई थी. वो अनुपम खेर के एक्टिंग स्कूल में आकर मास्टर क्लासेस लेना चाहते थे.
एक्टर असरानी के फिल्मी करियर की बात करें तो फिल्मी जगत उनके लिए इतना आसान नहीं था. जी हां उन्होंने इस जगत में आने के लिए खूब पापड़ बेले थे. अपना माता-पिता से बगावत करके वो मुंबई आकर पुणे के फिल्म इंस्टीट्यूट में एडमिशन ले लिया और यहीं से उनके फिल्मी सफर की शुरूआत हुई थी. अभिनेता ने 350 से ज़्यादा हिंदी फ़िल्मों में अपना जबरदस्त किरदार निभाया है. असरानी ने मुख्य भूमिकाएं, चरित्र भूमिकाएं, हास्य भूमिकाएं और सहायक भूमिकाएं निभाई हैं.

चुपके-चुपके
अभिनेता के दमदार फिल्मों की बात करें तो अपनी हर फिल्मों ने उन्होंने जबरदस्त भूमिका निभाई है, जिसे देख ना हंसने वालों की भी हंसी छूट जाए. ऋषिकेश मुखर्जी द्वारा निर्देशित फिल्म ‘चुपके-चुपके’ में असरानी ने प्रशांत कुमार श्रीवास्तव की भूमिका अदा की थी. अभिनेता ने एक मजाकिया और चतुर आदमी का रोल किया था. उनके संवाद और कॉमेडी टाइमिंग ने दर्शकों को खूब आकर्षित किया था.

नमक हराम
अमिताभ बच्चन, राजेश खन्ना और रेखा अभिनीत 'नमक हराम' फिल्म का निर्देशन ऋषिकेश मुखर्जी ने किया था. इस फिल्म में असरानी ने धोंधू की भूमिका निभाई थी. 1973 में रिलीज हुई इस एक्शन-कॉमेडी फिल्म में असरानी के किरदार ने सभी का ध्यान खींच था.
शोले
अभिनेता शोले में जेलर की भूमिका के अलावा 1972 से 1991 के बीच राजेश खन्ना के साथ मुख्य भूमिका में 25 फ़िल्मों में निभाए गए किरदारों के लिए वह जाने जाते हैं. जेलर के किरदारों से असरानी खूब फेमस हुए. रमेश शिप्पी के निर्देशन में साल 1975 में बनी 'शोले' फिल्म में असरानी ने जेलर की भूमिका निभाई थी. फिल्म में उनके संवाद "हम अंग्रेजों के जमाने के जेलर हैं" का यह डायलॉग अमर हो गया. यह वह डायलॉग है जिसे आज की पीढ़ी के जुबान पर भी धड़ल्ले से सुनने को मिलती है. इस फिल्म में अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, हेमा मालिनी मुख्य भूमिका में नजर थे.

भूल-भुलैया
प्रियदर्शन के निर्देशन में साल 2007 में 'भूल-भुलैया' फिल्म रिलीज हुई थी, इस हॉरर-कॉमेडी फिल्म में असरानी ने कर्मचारी मुरारी का किरदार निभाया था. अभिनेता ने इस मनोवैज्ञानिक कॉमेडी में अपनी कॉमेडी टाइमिंग से दर्शकों का खूब मनोरंजन किया था.
धमाल
साल 2007 में रिलीज हुई फिल्म 'धमाल' में असरानी ने नारी कॉन्ट्रैक्टर की भूमिका निभाई थी. इस कॉमेडी फिल्म में उन्होंने दर्शकों को खूब हंसाया था. फिल्म में संजय दत्त, अरशद वारसी, जावेद जाफरी जैसे कलाकार मौजूद थे. इस फिल्म का निर्देशन इंद्र कुमार ने किया था. इन सभी के बीच क्या आप जानते हैं कि उनके करियर में इंदिरा गांधी का भी अहम किरदार रहा है.

इंदिरा गांधी बनी असरानी की मददगार
बता दें, असरानी जब अपनी पढ़ाई खत्म करने के बाद मुंबई आकर हीरो बनने का सपना देखा, क्योंकि उन्हें बचपन से ही फिल्मों का शौक था. इसी शौक के चलते उन्होंने फिल्मी जगत में हीरों बनने के लिए खूब मेहनत की, लेकिन उनकी ये मेहनत रंग नहीं लाई. लेकिन कुछ समय बाद इंदिरा गांधी से मिलते ही उनकी किस्मत का ताला खुल गया. इस बात का जिक्र खुद उन्होंने एक इंटरव्यू में किया था. उन्होंने बताया था कि, उस दौर में मैं अपने सर्टिफिकेट के साथ घूमता रहता था और लोग मुझे भगा देते थे.
'एक दिन इंदिरा गांधी पुणे आईं हुईं थीं. उस वक्त वो सूचना और प्रसारण मंत्री थीं. हमने उनसे मिलकर इस बात की शिकायत कर बताया कि 'सर्टिफिकेट होने के बावजूद कोई मुझे काम नहीं देता है. इसके बाद इंदिरा गांधी ने कुछ प्रोड्यूसर्स और फिल्ममेकर्स को कहा कि असरानी को काम दिया जाना चाहिए. उनके कहने के बाद मेरे पास काम आने लगा. जया भादुड़ी और मुझे, हम दोनों को 'गुड्डी' में कास्ट किया गया और तो और इसके बाद लोगों ने फिल्म को गंभीरता से लेना शुरू किया. ' बॉलीवुड में काम मिलने के बाद से उन्होंने इंदिरा गांधी का तहे दिल से शुक्रिया किया था.




