वाराणसीः ट्रंप सरकार द्वारा भारत पर लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ का असर पूर्वांचल के उद्योगों पर गहराई से दिखने लगा है. बनारस की सिल्क और साड़ियों के साथ-साथ भदोही-मिर्जापुर की कालीन व दरी उद्योग बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं. त्योहारी सीजन के करीब होने के बावजूद इन दिनों इसे उद्योग से जुड़े कारखानों में कामकाज ठप सा है और नए आर्डर नहीं मिल रहे हैं.
निर्यातकों ने की कर्मचारियों की छंटनी की तैयारी
लागू हुए नए टैरिफ के चलते इन सामानों का निर्यात करने वाले निर्यातकों द्वारा हजारों कर्मचारियों को अगस्त का वेतन देकर सितंबर से उनकी छंटनी की तैयारी की खबरें हवा में तैरने लगी है. बनारसी साड़ी, सिल्क उत्पाद, कालीन और पंजा दरी से जुड़े लाखों परिवारों पर रोजगार का संकट मंडरा रहा है. इसको लेकर कर्मचारियों समेत उनके परिजनों को अपने भविष्य की चिंता सताने लगी है. केवल कालीन और दरी उद्योग में ही दस लाख से अधिक कारीगर कार्यरत हैं. उद्योग में मंदी बढ़ने से आने वाले समय में पलायन भी शुरू हो सकता है.
निर्यातकों को भारी नुकसान का अंदेशा
निर्यातकों को उम्मीद थी कि अमेरिका और भारत के बीच टैरिफ को लेकर समझौता होगा, लेकिन ऐसा न होने से हालात और बिगड़ गए. 27 अगस्त से टैरिफ 50 फीसदी हो जाने के बाद निर्यातकों को भारी नुकसान का अंदेशा है. पूर्वांचल निर्यातक संघ के अध्यक्ष जुनैद अंसारी के अनुसार, कालीन उद्योग को किसी राहत की उम्मीद थी, लेकिन टैरिफ घटने की बजाय और बढ़ने से स्थिति गंभीर हो गई है. भदोही के लगभग 80 प्रतिशत परिवार सीधे या परोक्ष रूप से कालीन उद्योग पर निर्भर हैं. इसी क्रम में सिर्फ कालीन और सिल्क ही नहीं, बल्कि जरी-जरदोजी, स्टोन कार्विंग, गुलाबी मीनाकारी और बनारसी साड़ियों जैसे पारंपरिक उद्योग भी इस संकट की चपेट में आ गए हैं.