
वाराणसी : जिले की दवा मंडी और थोक दुकानों पर शुक्रवार को छापेमारी की गई. इस दौरान चार दुकानों की जांच की गई तो बुखार, सांस संबंधी बीमारियों में दी जाने वाली दवाओं की गुणवत्ता प्रारंभिक तौर पर खराब मिली है. इस वजह से औषधि विभाग ने दवाओं का नमूना लिया. साथ ही लखनऊ की प्रयोगशाला से रिपोर्ट आने तक दवाओं की खरीद, बिक्री पर रोक लगा दी गई. मध्य प्रदेश में मिलावटी कफ सिरप के पीने से बच्चों की मौत के बाद विभागीय टीम अलर्ट है. गुरुवार को खाद्य सुरक्षा औषधि प्रशासन विभाग की आयुक्त रौशन जैकब वाराणसी पहुंची और अधिकारियों के साथ दवा की थोक दुकानों पर जांच की गई थी. पहले दिन 51 दुकानों पर कार्रवाई की गई थी.

इन दुकानों पर हुई जांच
ड्रग इंस्पेक्टर जुनाब अली ने बताया कि शुक्रवार को रामनगर के बालाजी मेडिकल स्टोर, सिकरौल के एनविनाया मेडिकल एजेंसी, शिवपुर में केएल सन्स फार्मास्यूटिकल्स और बड़ागांव की देवनाथ फार्मेसी की दवाओं की गुणवत्ता जांची गई. साथ ही खरीद-बिक्री से जुड़े कागजातों की जांच की.
दवाओं का सैंपल जांच के लिए लखनऊ स्थित प्रयोगशाला भेजी गई है. जिन दवाओं की गुणवत्ता संदिग्ध मिली है. उनमें एमॉक्सिसिलिन का प्रयोग बुखार, गले की खराश और त्वचा संक्रमण के लिए होता है. डाक्सीसाइक्लिन का प्रयोग टाइफाइड, मलेरिया और श्वसन रोगों में होता है.
12 फर्मों में अनियमितता मिली
बता दें कि जनस्वास्थ्य को ताक पर रखते हुए दवा बिक्री में किए जा रहे खेल को देखते हुए खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन की ओर से गुरुवार को वाराणसी में जबरदस्त छापेमारी की गई थी. आयुक्त खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन के नेतृत्व में 10 औषधि निरीक्षकों की टीम ने नशीली औषधियों के 51 थोक विक्रेताओं की दुकान-दफ्तर से लेकर गोदाम तक छापेमारी की. गड़बड़ी की आशंका में बिक्री बंद करा दी गई. उनके लाइसेंस पर ‘स्टाप सेल’ का आदेश किया गया. साथ ही फर्म के भंडारण, वितरण, क्रय-विक्रय और समस्त रिकार्ड की विस्तृत रूप से जांच की जा रही है. इस दौरान इन 12 फर्मों में अनियमितता पाए जाने पर सभी के ड्रग लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निलंबित करने के आदेश दिए गए. साथ ही प्राथमिक सूचना रिपोर्ट भी दर्ज करने का आदेश दिया गया है.




