
वाराणसीः विविधता, समानता और सम्मान के संदेश के साथ बनारस क्वियर प्राइड परेड का आयोजन रविवार को सिगरा इलाके में किया गया. LGBTQIA+ समुदाय और उनके सहयोगियों ने बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरकर बताया कि समाज में हर पहचान को बराबरी का हक मिलना चाहिए. परेड का उद्देश्य यह स्पष्ट करना था कि इंसान पहले हैं,पहचान बाद में.
कार्यक्रम की शुरुआत सिगरा थाना के सामने गुलाबबाग पार्क में दोपहर 12:30 बजे हुई. रंग-बिरंगी झंडियों, पोस्टरों और स्लोगनों के साथ निकली यह परेड गुलाबबाग पार्क से प्रारंभ होकर भारत माता मंदिर, इंग्लिशिया लाइन, मलदहिया चौराहा और फातमान रोड से गुजरते हुए पुनः गुलाबबाग पार्क में पहुंचकर संपन्न हुई।
भारत और विश्व की पहली प्राइड परेड

बता दें कि विश्व इतिहास में LGBTQ+ अधिकारों की लड़ाई की शुरुआत 1969 के स्टोनवॉल विद्रोह, न्यूयॉर्क से मानी जाती है. इसके एक वर्ष बाद, 28 जून 1970 को न्यूयॉर्क में दुनिया की पहली प्राइड परेड आयोजित की गई, जिसने वैश्विक आंदोलन का रूप ले लिया. भारत में पहली क्वियर प्राइड परेड 1999 में कोलकाता में ‘Friendship Walk’ के रूप में निकाली गई थी. यह देश में LGBTQ+ अधिकारों की दिशा में पहला बड़ा सार्वजनिक कदम था.
बनारस की प्राइड परेड का इतिहास

बनारस में सबसे पहली क्वियर प्राइड साल 2022 में सारनाथ में आयोजित हुई थी.हालाँकि वह बिना अनुमति के निकाली गई थी. इसके बाद 2023 में पहली आधिकारिक प्राइड परेड परमिशन के साथ आयोजित हुई. इसके बाद 2024 में दूसरी और 2025 में यह बनारस की तीसरी आधिकारिक क्वियर प्राइड परेड है.
हर साल इस परेड में प्रतिभागियों की संख्या बढ़ रही है, और अब देश के कई शहरों—कोलकाता, दिल्ली, मुंबई, लखनऊ और पटना से भी साथी इस आयोजन में शामिल होने लगे हैं. यह काशी की सामाजिक संरचना में हो रहे सकारात्मक बदलाव का संकेत है.
क्यों महत्वपूर्ण है यह आयोजन ?
प्रतिभागियों ने कहा कि काशी में प्राइड परेड सिर्फ एक उत्सव नहीं, बल्कि विविधता (Diversity) और समावेशन (Inclusion) को अपनाने का सामाजिक संदेश है. यह कार्यक्रम LGBTQIA+ समुदाय को सुरक्षित मंच देने के साथ-साथ शहर में स्वीकार्यता, संवाद और सम्मान के लिए नई जगह तैयार करता है. अंत में परेड का एक ही संदेश गूंजा: “बराबरी सभी के लिए- सम्मान सभी का.




