
Bihar Elections: आगामी बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही सभी राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी कमर कस ली है. ऐसे में इन पार्टियों के बीच वार-पलटवार का दौर जारी है. सीट बंटवारों के लिए हो रही माथापच्ची के बीच अब एक नया "ट्विस्ट" आ गया है. जी हां, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी यानी (CPI) ने बीते मंगलवार को 6 सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया है. जबकि, 8 अन्य सीटों पर एक बड़ा दावा करते हुए ये स्पष्ट कह दिया कि, गठबंधन के अंदर बातचीत के बाद ही उन पर फैसला होगा.

बता दें, भाकपा ने जिन 6 सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम घोषित किए हैं उनमें तेघरा विधानसभा सीट से रामरतन सिंह, बखरी से सूर्यकांत पासवान, बछवाड़ा से अवधेश राय, हरलाखी से राकेश कुमार पांडे, झंझारपुर से रामनारायण यादव और बांका सीट से संजय कुमार शामिल हैं. सबसे दिलचस्प तो यह है कि CPI ने रूपौली सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन इस बार उसने इस सीट को पीछे छोड़ते हुए बांका सीट पर अपना निशाना लगाया है. बांका वो सीट है जहां 2020 में राजद यानी राष्ट्रीय जनता दल ने अपना उम्मीदवार उतारा था. इससे ये साफ जाहिर होता है कि महागठबंधन के घर में सीटों का समीकरण पूरी तरीके से बदल रहा है. जबकि कुछ सीटों पर सहयोगी दलों में जबरदस्त टकराव की स्थिति भी देखने को मिल रही है.
बछवाड़ा सीट की बात करें तो इसका नाता विवादों से जुड़ा है, वजह भी साफ है, इस बछवाड़ा सीट पर कांग्रेस अपनी दावेदारी से किसी भी हाल में पीछे नहीं हटना चाहती है. क्योंकि पार्टी यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष शिवप्रकाश गरीबदास को टिकट देना चाहती है. शिवप्रकाश ने पिछली बार इसी सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर करीब 40 हजार वोट हासिल कर तीसरे स्थान पर अपना परचम लहराया था. वहीं, इसी बछवाड़ा सीट से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी यानी CPI ने एक बार फिर से अवधेश राय को टिकट दे दिया जो, जो 2020 के चुनाव में सिर्फ 84 वोटों से हार गए थे. इन्हीं कारणों के चलते पार्टी इसे ‘अपना परंपरागत गढ़' मानते हुए छोड़ने को तैयार नहीं है.

ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि, बछवाड़ा पर CPI और कांग्रेस ये दोनों की निगाहें टिकी हुई है. जबकि राजद गठबंधन में मध्यस्थता करने की भूमिका में है. सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस के दिलों दिमाग से बछवाड़ा सीट इसलिए नहीं उतर रही है क्योंकि यहां युवा वोटरों और संगठन की जमीनी पकड़ मजबूत है. इसके चलते कांग्रेस ये सोच रही है कि इसी के जरिए आगामी बिहार चुनाव में उसका बेड़ापार हो जाए.




