वाराणसी: 79वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर शुक्रवार को काशी में देशभक्ति का जज़्बा चरम पर रहा. शहर के सरकारी भवनों, स्कूल-कॉलेजों और घरों की छतों पर तिरंगा शान से लहराया. जगह-जगह आज़ादी के लिए प्राण न्योछावर करने वाले वीर सपूतों को याद किया गया और उनके परिजनों का सम्मान किया गया.
इसी कड़ी में जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने कलेक्ट्रेट परिसर में ध्वजारोहण कर कार्यक्रम की शुरुआत की. इस मौके पर 11 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और उनके परिजनों, आपातकाल के दौरान जेल जाने वाले लोकतंत्र सेनानियों तथा स्कूली बच्चों को सम्मानित किया गया. जिलाधिकारी ने पौधारोपण अभियान को बढ़ावा देने के लिए अशोक का पौधा भी लगाया.अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि आज़ादी के इस मुकाम तक पहुँचने में लाखों देशभक्तों के बलिदान शामिल हैं. आज देश जिस तरक्की के दौर में है, वह स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है.
8 लाख से अधिक घरों में फहराया गया तिरंगा
उन्होंने जनपदवासियों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं दीं और विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने का आह्वान किया. डीएम ने बताया कि स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में “हर घर तिरंगा” अभियान चलाया गया, जिसके तहत जिले के 8 लाख से अधिक घरों में तिरंगा फहराया गया. साथ ही, पौधारोपण अभियान के तहत सभी सरकारी कार्यालयों, स्कूल-कॉलेजों और सार्वजनिक स्थलों पर पौधे लगाकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया गया.
राष्ट्रीय पर्व केवल एक तिथि नहीं, बल्कि जिम्मेदारी का प्रतीक
स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर अपर पुलिस महानिदेशक, वाराणसी जोन पीयूष मोर्डिया ने जोन कार्यालय में ध्वजारोहण किया. ध्वजारोहण के बाद उन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को नमन किया और कहा कि आज़ादी हमें आसानी से नहीं मिली, बल्कि वीर जवानों ने अपने प्राणों की आहुति देकर इसे अर्जित किया.उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता दिवस का यह राष्ट्रीय पर्व केवल एक तिथि नहीं, बल्कि हमारे साहस, गर्व और जिम्मेदारी का प्रतीक है। पुलिस बल के सदस्य के रूप में हमें निष्ठा, ईमानदारी और सेवा भावना के साथ जनता की सेवा करनी चाहिए। उन्होंने यह भी जोड़ा कि पुलिस की वर्दी केवल शक्ति का नहीं, बल्कि जनविश्वास और उत्तरदायित्व का प्रतीक है, जिसे हर परिस्थिति में कायम रखना हमारा कर्तव्य है.
काशी के विभिन्न इलाकों में आयोजित कार्यक्रमों में देशभक्ति के गीत गूंजे, सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ हुईं और बच्चों में उत्साह देखने लायक था. आज़ादी के रंगों में रंगी काशी ने एक बार फिर साबित किया कि यह शहर सिर्फ अध्यात्म और संस्कृति का ही नहीं, बल्कि देशभक्ति का भी गढ़ है.