Trump Tariff: राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका की सत्ता क्या संभालने लगे विदेश नीति में एक बड़ा भूचाल आ गया है. जी हां, डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय सामानों पर 50% तक टैरिफ लगाने की धमकी दे बैठे है. उनके इन्हीं फैसलों के चलते भारत और अमेरिका के रिश्तों के बीच दरार आती नजर आ रही हैं. जिसका नतीजा हर किसी के सामने है, भारत की नजदीकिया अब ब्रिक्स देशों से लेकर चीन के करीब आती नजर आ रही हैं.
एक समय था जब 2020 में गलवान घाटी की झड़प के चलते इन दोनों देशों के रिश्ते में एक बड़ी खटास देखने को मिली थी, मगर अब अमेरिका के एक्शन से भारत भी ट्रंप को ये जताने लगा है कि सिर्फ तुम ही तीस मार खां नहीं हो, तुमसे बड़ा भी कोई है और वो है भारत देश, जो अपने फायदे के लिए बनी बनाई दोस्ती में दगेबाजी करना नहीं जानता हैं.
भारत और चीन के इस करीबी सफर को देखते हुए ऐसा माना जा रहा है कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर चीन के साथ सीधी उड़ाने भरने को तैयार हो चुके हैं. हालांकि, पीएम मोदी का ये कदम डोनाल्ड ट्रंप द्वारा बढ़ाये जाने वाले टैरिफ फैसले के बाद से उठाया गया है, जिसे देख अमेरिका तिलमिला उठा है. वहीं दूसरी ये कदम भारत औऱ चीन के बीच बिगड़ते रिश्तों को सुधारने की दिशा में मजबूती देगा. इन सभी के बीच ऐसा माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शंघाई सहयोग संगठन यानी (एससीओ) की बैठक में हिस्सा लेने के लिए चीन जाने वाले हैं. अगर सच में ऐसा होता है, तो यह सात साल में भारत की पहली चीन यात्रा होगी, जहां पहुंचक पीएम मोदी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात भी करेंगे.
दरअसल, चीन से देश-विदेश में फैलने वाली कोरोना महामारी के दौरान भारत ने एक बड़ा एक्शन लेते हुए चीन के साथ सीधी उड़ानें बंद कर दी थीं, दूजा ये कि उसी बीच में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी, इसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे, जिससे भारत आगबबूला हो उठा था, इसी मसले के बाद से दोनों देशों के यात्रियों को मजबूरन हांगकांग या सिंगापुर जैसे देशों से होकर अपनी यात्रा करनी पड़ती थी. जो काफी दिनों तक चर्चा में रही थी. लेकिन अब भारत सरकार ने इस मसले को बेहतर तरीके से सुधारने के लिए भारतीय एयरलाइंस को चीन के लिए फिर से उड़ानें शुरू करने की बात कही है.
जानकारी के मुताबिक, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्यापार नीतियों ने भारत को यह सोचने पर इस हद तक मजबूर कर दिया है कि उसे अपनी ही "रणनीतिक स्वायत्तता" और "रणनीतिक स्वतंत्रता" अब बनाए रखनी होगी. जिसके लिए वो सक्षम भी है. वॉशिंगटन हमेशा से भारत को चीन के खिलाफ एक मजबूत साथी मानता रहा है, लेकिन इस बीच भारत के खिलाफ ऐसे फैसले लेकर ट्रंप ने पीएम मोदी और चीन को एक साझा मंच पर एक साथ खड़ा कर दिया है.
शायद अमेरिका के इसी रवैये को देखते हुए चीन के राजदूत जूफी होंग ने ट्रंप के टैरिफ को "धमकी" बताते हुए भारत को नैतिक समर्थन तक दे बैठा है. जिस पर पूर्व अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने एक बड़ा बयान देते हुए ये तक कह दिया कि, ट्रंप द्वारा लिया गया ये टैरिफ फैसला उल्टा कही उन पर ही भारी न पड़ जाए. क्योंकि ट्रंप का मकसद रूस को नुकसान पहुंचाना है, ऐसे में कहीं उनका ये कदम भारत को रूस और चीन के बेहद करीब न ले जाएं.
बता दें, अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने बात इसलिए कही क्योंकि, सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि चीन भी भारत से अपने संबंधों में सुधार के संकेत देने की कोशिशों में लगा हुआ है. हकीकत तो ये है कि ट्रंप के इस व्यापार युद्धों से चीन भी परेशान हो चुका है जिससे निपटने के लिए वो भारत के साथ आना चाहता है, जिसके लिए उनसे हाल ही में भारत को यूरिया की शिपमेंट पर लगी पाबंदियों में ढील भी दी है