
Coldrif Cough Syrup Case: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में कफ सिरप पीने से 20 बच्चों की हुई मौत के मामले की जांच-पड़ताल में जुटी मध्य प्रदेश की पुलिस ने एक बड़ी कार्रवाई की है. इस मामले में उसने दवा कंपनी के मालिक रंगनाथन को गिरफ्तार कर लिया है. बता दें कि कफ सिरफ पीने वाले बच्चों की मौत के मामले में खुद को पुलिस से बचाने की खातिर आरोपित कंपनी मालिक रंगनाथन फरार चल रहा था, जिसकी तलाश में जुटी पुलिस ने बीते गुरुवार को तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से उसे धर-धबोच लिया. इस मामले में आगे की कार्रवाई करने के लिए पुलिस रंगनाथन को सुंगुवरछत्रम ले जाएगी.

दरअसल, 7 सितंबर से एक-एक करके कई बच्चों की मौत हो रही थी. छह बच्चों की मौत के बाद प्रशासन हरकत में आया और 23 सितंबर को इस तरह हो रही बच्चों की मौत पर अधिकारियों ने जांच करनी शुरू कर दी. पता चला कि मध्य प्रदेश के छिदवाड़ा में कफ सिरप पीने से कई बच्चों की जान चली गई है. मौत का ये सिलसिला यहीं थमा नहीं. बल्कि, राजस्थान से भी तीन बच्चों की मौत की खबर सामने आई जिसके बाद से यह मामला लगातार सुर्खियों में है.

विवादों के घेरे में खड़े कफ सिरप की जांच होने पर उसके सैंपल में कुछ भी गलत नहीं पाया गया जिसकी सरकार ने भी पुष्टि की. दूसरी ओर मृत बच्चों के परिजन इस बात को मानने से तैयार नहीं, आखिरकार, हो भी कैसे क्योंकि जिनपर दुखों का पहाड़ टूटा है, जिनकी गोद सुनी हो गई है, वहीं इसका दर्द भी समझेंगे. सरकार भला क्यों समझेगी,. उसे तो सिर्फ अपनी सत्ता प्यारी है. उसके लिए तो जनता भी न्योछावर है. ऐसे में भला रोती बिलखती उन आंखों के आंसुओं की कीमत को वो क्या जानेगी, जिसने कभी ऐसे दुखों के दिन नहीं देखे हैं. हैरानी की बात तो यह है कि मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा का कहना है कि इस कफ सिरप को पीने से बच्चों की मौत नहीं हुई है.

बता दें, मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में ‘कोल्ड्रिक’ कफ सिरप से जिन 20 बच्चों की मौत हुई थी, वह "श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स" कंपनी ने बनाई थी. इसकी जांच में पाया गया कि सिरप में डायएथिलीन ग्लाइकॉल की मात्रा तय सीमा से काफी ज्यादा थी, जिसके चलते कई बच्चों की किडनी फेल हो गई थी. इस कंपनी की लापरवाही को देखते हुए मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव ने श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स के सभी उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया.

सर्दी-जुकाम दूर करने वाली 'कोल्ड्रिफ कफ सिरप'ने कई बच्चों की जान ले चुका है. इस सिरप की कंपनी का नाम "श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स" है. इसी ने ऐसा कफ सिरप तैयार किया है, जिसने कई बच्चों को मौत के मुंह में डाल दिया. इस दर्दनाक घटना के बाद से मध्य प्रदेश सरकार ने श्रीसन के सभी प्रोडक्ट्स पर बैन लगा दिया है. इसकी शुरुआत 1990 में एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के रूप में हुई थी.

इस कंपनी के निदेशकों में रंगनाथन गोविंदराजन, रंगनाथन रानी, गोविंदन बालासुब्रमणियन और रंगनाथन गोविंदन शामिल हैं. ये कंपनी एमपी के अलावा यूपी में भी ड्रग्स डिपार्टमेंट ने सभी औषधि निरीक्षकों को निर्देश जारी किए हैं कि वे राज्य के सरकारी और निजी संस्थानों से श्रीसन फार्मास्युटिकल, द्वारा निर्मित कफ सिरप के नमूने एकत्र करें.
गजब की बात तो यह है कि सरकार का ये भी दावा है कि Kayson फार्मा के सैम्पल्स की जांच में कोई भी सैंपल फेल नहीं हुआ. इसके बाद भी सरकार ने Kayson की सारी 19 दवाइयों पर प्रतिबन्ध लगा दिया है. आखिर क्यों, 2021 में दिल्ली में इसी दवा से 16 बच्चे बीमार हुए थे, जिनमें से 3 की मौत हो गई थी. कायसन फार्मा की दवाओं पर लगे प्रतिबंध से तो ये तो जाहिर होता है कि दाल में कुछ तो काला है जिसे सरकार जाहिर करने से घबरा रही है. हालांकि, कफ सिरप विवाद को लेकर सरकार के साथ-साथ अब स्वास्थ्य विभाग पर भी कई सवाल उठने लगे हैं.

कायसन फार्मा (Kayson) दवा की 19 दवाओं पर अगले आदेश तक रोक लगा दी गई है. कायसन फार्मा की दवाओं के 10,119 सैंपल लिए गए जिनमें 42 सैंपल अमानक पाए गए हैं. विभाग ने एहतियातन इस कंपनी द्वारा सप्लाई की जा रही सभी दवाओं की आपूर्ति पर रोक लगा दी है.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (DGHS) डॉ सुनीता शर्मा ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को खांसी के सिरप के सभी उपयोग के लिए स्वास्थ्य निर्देशकों को एडवाइजरी जारी की है. अपनी एडवाइजरी में उन्होंने कहा कि बच्चों में होने वाली ज्यादातर खांसी की समस्या अपने आप ठीक हो जाती है और इसके लिए दवा की जरूरत नहीं पड़ती है. ऐसे में बिना दवा के राहत के उपाय की सलाह दें.
बाद में डायरेक्टर जनरल हेल्थ सर्विसेज (केंद्र सरकार ) के निर्देश से दिल्ली सरकार ने पूरी दवा वापस ले ली और निर्देश देते हुए कहा कि 4 साल से कम उम्र के बच्चों को ये दवा नहीं लिखी जाएगी. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि जब दिल्ली में इस दवा को बैन कर दिया गया तो राजस्थान में यही दवा हर सरकारी डिस्पेंसरी पर काफी बड़े पैमाने पर बिक रही है आखिर क्यों ? ऐसे में जिन बच्चों ने ये दवा पी उनकी मौत हो गई. मामला गंभीर होने पर सरकार ने कार्रवाई की. जहां सीकर के अजीतगढ़ के हाथीदह में जहां एक डॉक्टर और फार्मासिस्ट निलंबित कर दिये गये है. क्योंकि, उन्होंने 2 बच्चों को ये दवा दी थी और बच्चे बीमार हुए थे.
श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स कंपनी की कफ सिरप मामले में जाच में जुटी पुलिस ने सिरप लिखने वाले डॉक्टर प्रवीण सोनी को भी गिरफ्तार कर लिया है. उनकी जमानत याचिका भी अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एडीजे), परासिया ने खारिज कर दी गई है. मृतकों में छिंदवाड़ा जिले के 18 और बैतूल जिले के 2 बच्चे शामिल हैं. घटना के बाद मामले में सीएमएचओ डॉ. नरेश गोनारे और सिविल सर्जन को पद से हटा दिया गया, जबकि डॉ. सुशील कुमार दुबे को सीएमएचओ का प्रभार सौंपा गया है.

मध्य प्रदेश पुलिस ने मौतों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया. इसके अलावा, तमिलनाडु की दवा कंपनी के खिलाफ मामला दर्ज किया है. फिलहाल, कफ सिरप मामले में मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल का कहना है कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि बच्चों की मौत का जिम्मेदार एक भी अपराधी बचना नहीं चाहिए. सभी के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए.




