
वाराणसी : कचहरी परिसर में शनिवार को वकीलों और पुलिस के बीच टकराव होने से बच गया. सुबह अधिवक्ताओं ने न्यायिक कार्य से विरत होकर कचहरी परिसर में जुलूस निकाला. इस दौरान जुलूस सड़क की ओर बढ़ा, लेकिन सैनिक होटल के पास ही वरिष्ठ अधिवक्ताओं के समझाने पर अधिवक्ता लौट गए. सूत्रों के अनुसार कुछ वकीलों ने पुलिस कमिश्नर कार्यालय तक घुसने का प्रयास किया किंतु मामला नियंत्रण में ले लिया गया. तनाव की जड़ हाल ही में वायरल हुआ वह वीडियो है, जिसमें एडीसीपी नीतू कादयान और कैंट थाना प्रभारी शिवाकांत मिश्र से वकीलों के विवाद का मामला सामने आया. इस वीडियो के बाद वकीलों का गुस्सा भड़क उठा और उन्होंने पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग तेज कर दी. बार एसोसिएशन के नेताओं का कहना है कि जब तक दोषी पुलिसकर्मियों पर ठोस कार्रवाई नहीं होगी, आंदोलन जारी रहेगा. शनिवार को बनारस बार और सेंट्रल बार ने संयुक्त रूप से रणनीति बनाई और न्यायिक कार्य का बहिष्कार किया. वकीलों ने "पुलिस-प्रशासन मुर्दाबाद" के नारे लगाए. इस दौरान अधिवक्ताओं ने हाथों में हथकड़ी और काली पट्टी बांधकर प्रदर्शन किया.

गैर जिलों के वकीलों का मिला समर्थन
दरोगा पिटाई प्रकरण को लेकर गैर जिलों के अधिवक्ताओं और बार पदाधिकारियों का वकीलों का समर्थन मिला रहा. लखनऊ, सोनभद्र समेत अन्य जिलों के बार पदाधिकारियों ने आज बनारस और सेंट्रल बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ बैठक की और उनके आंदोलन को अपना समर्थन दिया. इस बीच राज्य विधिज्ञ परिषद उत्तरप्रदेश के उपाध्यक्ष अनुराग पांडेय ने सीएम योगी आदित्य नाथ को शिकायती पत्र भेजकर संपूर्ण घटनाक्रम की न्यायिक जांच की मांग की. उधर, सेंट्रल बार अध्यक्ष मंगलेश कुमार दुबे ने अधिवक्ताओं के उत्पीड़न पर कड़ी नाराज़गी जताई. कहा कि “अधिवक्ताओं के अधिकारों पर चोट बर्दाश्त नहीं की जाएगी.”

कचहरी पुलिस छावनी में तब्दील
वकीलों की हडताल और तनाव को देखते हुए कचहरी परिसर में और बाहर बडी संख्या में पुलिस और अर्द्ध सैन्य बल की तैनाती की गई है. पुलिस अधिकारी पल पल की निगरानी कर रहे हैं. सोशल मीडिया पर भी नजर रखी जा रही है.





