वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन के उपराष्ट्रपति पद के लिए घोषित होने की जानकारी बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने दी और कहा कि, हम विपक्ष से बात करेंगे ताकि इस चुनाव को निर्विरोध तरीके से कराया जा सके. नड्डा के इस सफाई से ये साफ जाहिर होता है कि, सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार घोषित करना भाजपा की एक सोची-समझी रणनीति है.
राधाकृष्णन का नाम सिर्फ एक ऐलान नहीं बल्कि, व्यक्तिगत तरीके से पार्टी की ये वफादारी को बयां कर रही है, जिसका नतीजा हर किसी के सामने है. जी हां, तमिलनाडु और दक्षिणी राज्यों में अपना दबदबा कायम रखने के लिए भाजपा का ये एक नया संकेत है. ये वो राज्य है जहां इस पार्टी को अपनी पकड़ बनाने के लिए इसे खूब संघर्ष करना पड़ रहा है.
तमिलनाडु में 32 सांसदों वाली और सबसे बड़ी पार्टी द्रमुक के सामने सवाल यही होगा कि क्या उसे अपने ही राज्य से आने वाले उम्मीदवार का समर्थन करना चाहिए या नहीं? खासकर ऐसे वक्त पर, जब अगले साल तमिलनाडु में चुनाव होने वाले हैं. अगर पक्ष और विपक्ष की सहमति से सीपी राधाकृष्णन निर्वाचित होते हैं, तो वे उपराष्ट्रपति बनने वाले तमिलनाडु के तीसरे नेता बन जाएंगे.
बता दें, एनडीए गठबंधन द्वारा राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित होने पर इंडी गठबंधन ये सोचकर परेशान है कि इस मसले में भाजपा की चालाकी के सिवा और कुछ हो नहीं सकता है. फिलहाल, इंडी गठबंधन ने अभी तक इस पद के लिए अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है. जिसकों लेकर पार्टी की जद्दोजहद जारी है.
राधाकृष्णन चार दशक से भी अधिक समय से राजनीति और सामाजिक जीवन में सक्रिय रहे हैं. उन्हें तमिलनाडु की राजनीति का सम्मानित चेहरा तक माना जाता है. आपको बता दें, उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव 9 सितंबर को मतदान होगा और इसी दिन चुनावी परिणाम भी सामने आएगा.