
Maa Vaishno Dev: नवरात्रि का पावन पर्व अपने समाप्ति के सफर पर आ चुकी है. आज इस त्योहार की नवमी तिथि है. जहां देशभर में बड़ी ही भक्ति-भाव के साथ कन्या पूजन किया जा रहा है. घरों से लेकर मंदिरों में तक हर कोई अपनी-अपनी तरीके से कन्या पूजन कर रहा है. कन्या पूजन के बाद से माता रानी का विसर्जन करने की रस्मों-रिवाज के साथ निभाया जाता है. यह पावन पर्व की बेला भक्तों के लिए बड़ी ही अद्भुत है. इन दिनों में मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहता है, जहां मां के जयकारों से पूरा मंदिर परिसर गूंज उठता है.

बात करें माता वैष्णों देवी की तो इस नवरात्रि में मां का दर्शन करना बड़ा ही आनंदमय होता है जिसका नजारा इन दिनों खूब देखने को मिल रहा है. अर्धकुंवारी गुफा और भैरव घाटी में भी मां के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ने लगी है. बड़ी बात तो यह है कि यहां मालिनी अवस्थी जैसे कलाकारों ने अपनी प्रिय भजनों से माहौल को और भी भक्तिमय बना दिया है. इस दौरान भूमिका मंदिर में हवन और कन्या पूजन होने के साथ ही भंडारे का भी आयोजन किया गया.

माता वैष्णों देवी मंदिर में उमड़ी भीड़ को देखते हुए विशाल भंडारे का आयोजन भी किया गया है जिससे मां के दर्शन के लिए दूर-दूर से आये भक्तों को परेशानियों का सामना ना करना पड़े. इससे भी दिलचस्प बात तो यह है कि वैष्णों देवी में हजारों की तादात में भक्तों की इस भीड़ ने घोड़े और पिट्ठू वालों के लिए रोजगार का काम कर बैठी है. इससे घोड़े और पिट्ठू वालों के चेहरे पर खुशी देखी जा रही है.

मां वैष्णों देवी की यात्रा पर श्रद्धा भाव के साथ श्रद्धालु गण धीरे-धीरे गुफाओं की ओर बढ़ रहे हैं. माता वैष्णों के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ देख मानों ऐसा लग रह हा कि सभी माता रानी के दर्शन के लिए बड़े ही बेताब हैं, जो माता के जयकारों के साथ मंदिर दरबार में पहुंच रहे हैं. इस दौरान मन की मुरादें गीतों को गाते हुए श्रद्धालु अपनी यात्रा पर पहुंच रहे हैं. वहीं मालिनी अवस्थी ने मां वैष्णो देवी का गुणगान करके उपस्थित श्रद्धालुओं को भाव विभोर कर दिया. मालिनी अवस्थी ने कहा कि जारी पवित्र नवरात्र में मां के चरणों में पाकर वह धन्य हो गई हैं.

कहते है कि मां वैष्णो देवी की दिव्यता को बंया करने के लिए कोई शब्द नहीं है, जहां माता के बिना बुलाए कोई भी उनका दर्शन नहीं कर सकता और न ही उनकी माया का पार पा सकता है, फिर चाहे वो कितना भी धनवान क्यों न हो. क्योंकि माता रानी सिर्फ अपने भक्तों के प्यार की भूखी हैं. इसलिए तो सच्चे दिल से सिर्फ एक दीपक भी जलाकर माता दुर्गा जी को प्रसन्न किया जा सकता है. भाव की भूखी मईयां रानी अपने भक्तों से उम्मीद रखती हैं तो केवल सच्ची भक्ति की. इससे प्रसन्न होकर वह अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कलश विसर्जन आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को किया जाता है. वहीं जो लोग माता दुर्गा की प्रतिमा घर में स्थापित करते हैं वो भी इसी दिन दुर्गा विसर्जन की रीति-रिवाजों को निभाते हैं. साल 2025 में दशमी तिथि 1 अक्टूबर की शाम 7 बजकर 1 मिनट से शुरू होगी और 2 अक्टूबर को शाम 7 बजकर 10 मिनट पर खत्म होगी. उदयातिथि के अनुसार 2 अक्टूबर को ही कलश विसर्जन किया जाएगा.

दशमी तिथि के दिन कलश विसर्जन के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 17 मिनट से 6 बजकर 29 मिनट तक रहेगा. वहीं अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 04 मिनट से दोपहर 12 बजकर 51 मिनट के बीच भी श्रद्धालु कलश विसर्जन कर सकते हैं.

कलश विसर्जन करते समय सबसे पहले आपको कलश पर रखे नारियल को उठाना चाहिए. इस नारियल को फोड़कर प्रसाद के रूप में बांटना चाहिए. इसके बाद कलश में भरे हुए जल को पूरे घर में छिड़कना चाहिए. जल का छिड़काव आप आम के पत्तों से कर सकते हैं. कलश के जल को आप पीपल के पेड़ या फिर किसी पवित्र नदी में डाल सकते हैं. इसके बाद मिट्टी के कलश को नदी या फिर किसी पवित्र जल स्रोत में आपको प्रवाहित करना चाहिए. कलश में मौजूद सुपारी, लौंग आदि भी कलश के साथ ही आपको प्रवाहित कर देना चाहिए. इस प्रकार कलश को विसर्जित करने से आपको शुभ फलों की प्राप्ति होती है. माता की कृपा से आपके जीवन की सभी परेशानियों का अंत होता है.




