
Dhanteras 2025: देश में आज से पांच दिवसीय प्रकाश पर्व की शुरुआत हो गई है. जिसमें आज पहले दिन धनतेरस का विशेष महत्त्व है. इस दिन लोग बाजारों से झाड़ू, बर्तन, आभूषण समेत कई प्रकार के अन्य सामान लाते है. भारत में दिवाली और धनतेरस पर सोना और चांदी खरीदने का रिवाज रहा है. कुछ लोग ज्वेरलरी की शॉपिंग करते हैं तो कुछ लोग गोल्डु-सिल्वभर के बर्तन या सिक्केऔ...
अब सवाल यह है कि, आज धनतेरस पर चांदी के आभूषण या बर्तन क्या खरीदना शुभ रहेगा क्या नहीं...
अगर धनतेरस और दिवाली में चांदी के बर्तन और आभूषण खरीदने की बात करें तो चांदी के बर्तन या आभूषण खरीदना दोनों शुभ होता है लेकिन ज्वेलरी की तुलना पर सिक्का या बर्तन पर कम GST लगती है. इसके साथ ही लोगों को मेकिंग चार्ज में भी लाभ मिलता है. ग्राहकों को सोने की ज्वे लरी की तुलना में बर्तन और सिक्केग खरीदना एक सही फैसला हो सकता है और यह डबल फायदा दे सकता है.
ग्राहकों को फायदा...
पहला फायदा...
अगर हम फायदे की बात करें तो,चांदी के बर्तनों और सिक्के पर 3% जीएसटी लगता है, जो सोने और चांदी जैसी कीमती धातुओं पर लागू होता है. लेकिन अगर बर्तनों के निर्माण में मेकिंग चार्ज लगा है तो 5 % लागू होगा.
दूसरा फायदा: दूसरा सबसे बड़ा फायदा मेकिंग चार्ज को लेकर है. ज्वे.लरी में नाजुक डिजाइन, कारीगरी और मेहनत ज्या दा लगती है. इस कारण अक्सर 20% या उससे भी ज्याीदा तक मेकिंग चार्ज जुड़ जाता है. इसके अलावा, ब्रांड नेम की वजह से भी ज्वेचलरी खरीदारी महंगी हो सकती है. वहीं बर्तन में डिजाइन साधारण होता है.
डिजाइन और फैशन वैल्यूै
ज्वेलरी डिजाइन और फैशन की वजह से भी ज्यािदा मंहगे दामों पर बिक सकती हैं, लेनिक बर्तन या सिक्केा में ऐसा नहीं होता है. यह सिर्फ यूटिलिटी यूज या निवेश के लिहाज से खरीदे जाते हैं, जिस कारण यह ज्वेीलरी की तुलना में सस्ता होगा.
कौन ज्या दा होता है शुद्ध?
बर्तन अक्सर 80%-90% शुद्धता में बनते हैं, जबकि ज्वेलरी आमतौर पर 92.5% शुद्ध होती है. इसका मतलब है कि बर्तनों में थोड़ा और धातु मिलाकर बनाई जाती है. ऐसे में देखा जाए तो चांदी की ज्वेुलरी बर्तन की तुलना में ज्याेदा शुद्ध होती है.




