
वाराणसी: अपना प्राकृतिक स्वरूप खो रही गंगा की छोटी सहायक नदी वरुणा का संरक्षण और जीर्णोद्धार करने के लिए ड्रोन सर्वे का कार्य शुरू किया गया है. इस नदी का पौराणिक ही नहीं बल्कि बड़े भूभाग की खेती, जलस्तर, जैविक पौधों के लिए भी महत्व है. वर्तमान में प्रदूषण एवं अतिक्रमण के कारण इसके जल धारण क्षेत्र संकरा हो गया है. हालाँकि उत्तर प्रदेश सरकार वरुणा नदी के पुनरुद्धार हेतु निरंतर प्रयासरत है, जैसे- भदोही से गंगा-वरुणा संगम तक डिसिल्टिंग (सिल्ट हटाना) करना, नदी किनारे पौधरोपण कर हरित क्षेत्र बढ़ाना. इसके साथ ही, विभिन्न विकास खंडों में वेटलैंड एरिया तैयार किया जाएगा, जिससे भूजल स्तर सुधरेगा और नदी का जलस्तर सामान्य होगा. यह कार्य हरहुआ से वरुणा के उद्गम स्थल प्रयागराज तक होगा,
एनजीटी का आदेश

राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने सौरभ तिवारी बनाम यूनियन आफ इंडिया मामले के संबंध में वरुणा नदी के फ्लड प्लेन जोन के निर्धारण के लिए चिह्निकरण के लिए सर्वे आफ इंडिया से सर्वे करने का आदेश दिया था. सर्वे कर रही कंपनी के प्रोजेक्ट क्वार्डिनेटर सुधांशु सिंह ने बताया कि अधिकरण के आदेश के क्रम में एयरक्राफ्ट (फिक्स विंग हाइब्रिड ड्रोन) पर स्थापित लिडार सेंसर एंड हाई रिजोल्यूशन आप्टिकल कैमरा से हरहुआ से सर्वे कार्य शुरू किया गया है. सर्वे भदोही होते हुए प्रयागराज के नदी के उद्गम स्थल मैलहन झील फूलपुर तक होगा.
जुटा रहे डिजिटल डेटा
19 अक्टूबर से शुरू सर्वे जिले के बड़ागांव क्षेत्र तक पहुंच गया है. सर्वे कार्य सुबह से शाम तक चल रहा है. एयरक्राफ्ट को एयरपोर्ट अथारिटी से अनुमति के अनुसार 400 फीट की ऊंचाई से सर्वे कार्य कराया जा रहा है. यह वरुणा नदी के तट, चौड़ाई और जलस्तर का सटीक डिजिटल डेटा जुटा रहा है. वरुणा नदी अपने तटवर्ती लोगों के जीवन से जुड़ी होने के साथ विशेष जलीय जीव और पौधों आदि के लिए जानी जाती है। इतना ही नहीं इसका अपना पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व है. वाराणसी के नाम के पीछे तो वरुणा व असि नदी के बीच बसा होने के कारण भी नदी अपना अस्तित्व धीरे-धीरे खोती जा रही है.




