वाराणसी: आस्था और उत्साह के साथ पूरी काशी इस समय विघ्नहर्ता गणपति बप्पा के स्वागत में डूबी हुई है. भाद्रपद कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के अवसर पर मंगलवार को सुबह से ही शहर के मंदिरों में पूजा-अर्चना का दौर शुरू हो गया है. खासकर लोहटिया स्थित प्रसिद्ध बड़ा गणेश मंदिर में तो सुबह से ही भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी. मंगला आरती के समय मंदिर परिसर "हर हर महादेव" और "गणपति बप्पा मोरया" के जयघोष से गूंज उठा.
सुबह की पहली किरण के साथ ही मंदिर के मुख्य द्वार पर लंबी कतारें लग गईं. श्रद्धालु हाथों में फूल, दूर्वा, मोदक और प्रसाद लेकर भगवान गणेश के दर्शन-पूजन के लिए पहुंचे .मंदिर के चारों ओर भक्ति और श्रद्धा का अद्भुत माहौल था, जिसमें दूर-दराज से आए श्रद्धालु भी शामिल थे.
भाद्रपद कृष्ण पक्ष की चतुर्थी का महत्व
मंदिर के महंत प्रवीण दुबे ने बताया कि भाद्रपद कृष्ण पक्ष की चतुर्थी का धार्मिक महत्व बहुत खास है .इसे गणेश चतुर्थी कहा जाता है और इसे भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है. इस दिन विशेष रूप से महिलाएं संतान प्राप्ति, अपने पुत्रों की लंबी उम्र और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए व्रत रखती हैं.महंत के अनुसार, इस बार की गणेश चतुर्थी का महत्व इसलिए और भी बढ़ गया है क्योंकि यह भाद्रपद मास की शुरुआत में पड़ रही है. ऐसे अवसर पर भक्त भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए विशेष अनुष्ठान करते हैं.
पूजा-पाठ और विशेष भोग
भक्त इस पावन अवसर पर भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए विशेष सामग्रियां अर्पित करते हैं. इनमें फल, दूर्वा (एक प्रकार की पवित्र घास), लाल फूल और मोदक लड्डू प्रमुख हैं. मान्यता है कि गणेश जी को मोदक और लड्डू अत्यंत प्रिय हैं, इसलिए भक्त इन्हें खास तौर पर भोग के रूप में अर्पित करते हैं.मंदिर में आज सुबह से ही लगातार भक्त पूजा कर रहे हैं और यह सिलसिला देर रात तक जारी रहने की संभावना है. कई भक्त गणपति जी की प्रतिमा के सामने बैठकर मंत्रजप और भजन-कीर्तन भी कर रहे हैं.
आस्था और परंपरा का संगम
वाराणसी का बड़ा गणेश मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यहां की गणेश चतुर्थी की पूजा में शहर की परंपरा और संस्कृति की झलक भी देखने को मिलती है. यहां आने वाले भक्त सिर्फ दर्शन ही नहीं करते, बल्कि मंदिर परिसर में चल रहे भजन-कीर्तन में भी शामिल होते हैं. कई भक्त परिवार सहित पूरे दिन मंदिर में समय बिताते हैं. बच्चे प्रसाद लेने में उत्साहित रहते हैं, वहीं बुजुर्ग भक्ति-भाव में लीन होकर भगवान गणेश के नाम का स्मरण करते हैं.
धार्मिक मान्यताएं
हिंदू धर्म में भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता कहा जाता है. मान्यता है कि उनकी पूजा से जीवन में आने वाली सभी बाधाएं समाप्त हो जाती हैं और घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है. गणेश चतुर्थी का व्रत रखने से न केवल संतान प्राप्ति होती है, बल्कि जीवन में सफलता भी मिलती है.
महंत प्रवीण दुबे ने बताया कि गणेश जी की पूजा में दूर्वा और मोदक का विशेष महत्व है. दूर्वा को पवित्रता और दीर्घायु का प्रतीक माना जाता है, जबकि मोदक ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक है.
यह उत्सव आस्था, परंपरा और भक्ति का अनोखा संगम.
वाराणसी में गणेश चतुर्थी का यह उत्सव आस्था, परंपरा और भक्ति का अनोखा संगम पेश करता है. सुबह से रात तक चलने वाला यह उत्सव न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि लोगों के दिलों को भी आपस में जोड़ता है. भक्तों का मानना है कि गणपति बप्पा का आशीर्वाद मिलने से जीवन में खुशियां और समृद्धि बनी रहती है, और सभी बाधाएं स्वतः दूर हो जाती हैं.