Ganesh Chaturthi 2025: गणेश उत्सव का आज शुक्रवार को तीसरा दिन हैं. इस षष्ठी तिथि पर माँ गौरी के साथ भगवान गजानन गणपति का पूजा-पाठ किया जाता हैं. मान्यता है कि, इस दिन भगवान गणपति का देवों के देव महादेव और परशुराम से तीन दिन तक युद्ध चला था. इस विशेष पूजन की शुरुआत शुद्धिकरण और मंगलाचरण से होती है, जिसके बाद भगवान को पंचामृत से स्नान कराया जाता है और वस्त्र, चंदन, अक्षत, पुष्प, दूर्वा, बिल्वपत्र व सिंदूर अर्पित किए जाते हैं.
इस दिन गणेश जी को तुलसी अर्पित नहीं की जाती, क्योंकि एक पौराणिक श्राप के कारण यह वर्जित माना गया हैं. देशभर में गणेश उत्सव की धूम मची हुई हैं. वहीं मुंबई में लालबाग के राजा के दर्शन के लिए भक्तों की लंबी-लंबी कतारें भी नजर आने लगी हैं, जहाँ सचिन तेंदुलकर, नितिन गडकरी, जान्हवी कपूर और सिद्धार्थ मल्होत्रा जैसी बड़े-बड़े सेलिब्रिटिस भी शिरकत कर रहे हैं.
गणपति उत्सव मनाने का देशभर के लोगों का अपना-अपना विधान है, कुछ लोग ढाई दिन, कुछ सात दिन तो कुछ पूरे 10 दिनों तक गणेश बप्पा की स्थापना करते हैं. गणेश उत्सव के बाद से अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन करने की परंपरा को निभाई जाती हैं. 10 दिनों तक चलने वाले गणेश उत्सव में बप्पा की भक्ति-भाव से पूजा-पाठ किया जाता हैं, जिसके बाद कुछ लोग दो, तीन या फिर दस दिनों के बीच में ही बप्पा का विसर्जन करते हैं. इसे लेकर कुछ लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठने लगे है. गणेश स्थापना करने के पीछे कुछ पौराणिक कथाएं हैं जिसे बारे में आज हम आपको बताएंगे.
भक्तजन अतिथि की तरह गणेश जी की सेवा सत्कार करते हैं और अतिथि की तरह ही उन्हें विदा भी करते हैं. इसके पीछे और भी कारण हो सकते हैं, जैसे कि बिजी शेड्यूल के चलते कई लोगों के लिए 10 दिनों तक गणेश जी की सेवा करना काफी मुश्किल होता है. क्योंकि, घर में बप्पा की स्थापना होने से उन्हें अकेला छोड़ा नहीं जाता है, ऐसे में ऑफिस काम-काज के चलते ज्यादा दिनों तक छुट्टी नहीं मिल पाती है, जिससे लोगों को 10 दिनों तक सेवा करना नहीं हो पाता है, यहीं कारण है कि लोग अपने हिसाब से बप्पा का श्रृद्धा और भाव से उनकी गणेश उत्सव के बीच में भी ढ़ोल नगाड़ों के साथ विदाई करते हैं.
आपको बता दें कि कई भक्त 5 वें दिन भी गणेश विसर्जन करते हैं. लेकिन ऐसा करना शास्त्र संगत नहीं माना जाता है. शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि स्कंदमाता को समर्पित माना जाता है. माता पार्वती को देवी स्कंद भी कहा जाता है. भगवान कार्तिकेय को स्कंद कहा जाता है. अतः गणेश चतुर्थी के पंचमी तिथि पर भगवान गणेश संग स्कंदमाता की पूजा की जाती है, जिसके चलते पंचमी तिथि पर गणेश जी को विदा नहीं किया जाता हैं.
पौराणिक कथा के अनुसार, गणेश जी लगातार 10 दिनों तक महाभारत ग्रंथ लिखते रहे, जिस कारण उनके शरीर का तापमान बढ़ गया था. ऐसे में उनका शरीर तपने के चलते 10 दिनों के बाद गणेश जी के शरीर के ताप को संतुलित करने के लिए वेद व्यास जी ने उन्हें सरोवर में स्नान करने की विनती की. जिसके बाद अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान गणेश ने जल में डुबकी लगाई. इसी के चलते अनंत चतुर्दशी के शुभ अवसर पर भगवान गणेश जी को विदा करने की परंपरा निभाई जाती है.