गणेश विसर्जन है जरूरी, ना करने पर होता है...

Ganesh Chaturthi 2025: गणेश उत्सव का ये पावन पर्व को देशभर में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. गणपति उत्सव से मंदिर, घरों से लेकर मार्केट तक रौनक ही रौनक नजर आ रही है. भाद्रपद माह के शुक्ल की चतुर्थी तिथि को मनाया जाने वाला गणेश चतुर्थी का पर्व का समापन 6 सितंबर को होगा. इसी दिन गणपति बप्पा का विसर्जन किया जाएगा. भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए उनका प्रिय भोग मोदक अर्पित किया जाता है. हालांकि, भगवान को अपने भक्तों से भक्ति के सिवा और किसी भी चीज की चाहत नहीं होती है, क्योंकि भगवान तो प्रेम और भक्ति के भूखे होते है जिन्हें दीप-दान न करके सच्चे मन से हाथ जोड़कर उनका नाम भी जपा जाए तो जीवन मंगलमय हो जाता है.
भगवान और भक्तों के बीच अनोखा भाव
हिंदू परंपराओं के अनुसार, 10 दिनों तक मनाए जाने वाले इस गणेश उत्सव के बाद विघ्नहर्ता को सम्मान के साथ विदा किया जाता है. इस पावन विसर्जन के साथ ही गणपति उत्सव की समाप्ति हो जाती है. विसर्जन का पल बड़ा ही अद्भुत होता है भगवान और भक्तों के बीच ये वो अनोखा भाव होता है जिसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है बयां नहीं, भक्ति का वो भाव जो एक भक्त को भगवान से मिलन और वो रिश्ता जोड़ता है जो संसार में भी ढूंढ़ने से नहीं मिलता हैं. कुछ भक्त ये सोचते है कि आखिर गणपति बप्पा का विसर्जन क्यों कर रहे है. तो चलिए आज आपकों इसका महत्व बताते है.अगर विसर्जन न करें तो क्या होगा?
10 दिनों तक गणेश उत्सव क्यों
पौराणिक कथा के अनुसार, गणेश जी लगातार 10 दिनों तक महाभारत ग्रंथ लिखते रहे, जिस कारण उनके शरीर का तापमान बढ़ गया और शरीर पूरा तपने लगा था. 10 दिनों के बाद गणेश जी के शरीर के ताप को संतुलित करने के लिए वेद व्यास जी ने उन्हें सरोवर में स्नान करने की विनती की. अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान गणेश ने जल में डुबकी लगाई
ये है विसर्जन की परंपरा
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, गणेश उत्सव और विसर्जन की परंपरा की शुरुआत महाराष्ट्र में हुई थी. क्योंकि, उत्तर भारत से भगवान गणेश अपने भाई कार्तिकेय से मिलने महाराष्ट्र गए थे. वहां वे 10 दिन रुके थे. इसके बाद उनकी सम्मान के साथ विदाई हुई थी. इसी शुभ घड़ी के उपलक्ष्य पर विसर्जन की शुरुआत हो गई. इसके अलावा, विसर्जन के माध्यम से यह संदेश भी दिया जाता है कि गणेश भगवान सभी विघ्नों को समाप्त करके अपने लोक में वापस चले जाते हैं. जिसके चलते विसर्जन की परंपरा को निभाया जाता हैं.
विसर्जन न करने का महत्व...
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, गणेश पूजा के 10 दिन बाद विसर्जन करना जरूरी होता हैं. लेकिन, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा न करने से यह दोष का कारण बन सकता है. यदि आप मूर्ति को केवल सजावट या पूजन के उद्देश्य से घर में रखते हैं और विधिवत स्थापना या विसर्जन नहीं करते, तो यह धार्मिक दृष्टिकोण से कोई दोष नहीं माना जाता.




