वाराणसी : बनारस के शहरी विस्तार की दिशा में एक बड़ी पहल करते हुए वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) अब "ग्रेटर बनारस" नाम से एक नई और आधुनिक टाउनशिप बसाने की तैयारी कर रहा है. मुख्यमंत्री शहरी विस्तारीकरण योजना के तहत रिंग रोड के किनारे हरहुआ से लेकर राजातालाब तक लगभग 1000 एकड़ भूमि पर इस परियोजना को विकसित किया जाएगा. इस महत्वाकांक्षी योजना के लिए शासन ने 1000 करोड़ रुपये का बजट भी स्वीकृत कर दिया है.इस टाउनशिप के तैयार होने पर वाराणसी के बाहरी इलाकों में रहने वाले लोगों को ठीक उसी तरह की सुविधाएं मिलेंगी जैसी दिल्ली के पास ग्रेटर नोएडा जैसे शहरों में उपलब्ध हैं.
क्या–क्या होगा ग्रेटर बनारस में?
ग्रेटर बनारस को अत्याधुनिक स्वरूप देने के लिए विस्तृत खाका तैयार किया गया है. इस नए शहर में बड़े बाजार, मॉल और होटल का निर्माण किया जाएगा, जहां लोगों को खरीदारी और मनोरंजन की आधुनिक सुविधाएं मिल सकेंगी. स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाने के लिए अत्याधुनिक अस्पताल स्थापित होंगे, साथ ही आईटी इंडस्ट्रीज और कॉमर्शियल कांप्लेक्स भी विकसित किए जाएंगे, जिससे युवाओं को रोजगार के नए अवसर प्राप्त होंगे. शहर को पर्यावरण के दृष्टिकोण से संतुलित बनाए रखने के लिए ग्रीन एरिया और खुले मैदान विकसित किए जाएंगे.
वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) ने योजना बनाई है कि रिंग रोड के किनारे इस पूरे क्षेत्र को चार अलग–अलग सेक्टरों में बांटकर बसाया जाएगा. इसका सीधा लाभ आसपास के गाँवों को मिलेगा, क्योंकि वे भी इस टाउनशिप से जुड़ सकेंगे और शहरी सुविधाओं का लाभ उठा पाएंगे. इससे न केवल ग्रामीण इलाकों में समग्र विकास संभव होगा, बल्कि युवाओं के लिए रोजगार और आजीविका के नए रास्ते भी खुलेंगे.
मुख्यमंत्री शहरी विस्तारीकरण योजना
बता दें कि इस योजना का मूल उद्देश्य प्रदेश में नए और सुनियोजित शहरों का विकास करना है. इसके लिए प्रदेश सरकार विकास प्राधिकरणों को आर्थिक मदद देती है. भूमि अधिग्रहण पर होने वाला खर्च सरकार और प्राधिकरण संयुक्त रूप से वहन करते हैं. साथ ही भूमि अधिग्रहण से जुड़े ब्याज का उपयोग भी परियोजनाओं में किया जाता है.
पुराने शहर पर कम होगा दबाव
ग्रेटर बनारस के बन जाने के बाद वाराणसी के बाहरी जिलों और प्रदेश के अन्य हिस्सों से आने वाले लोगों को अब पुराने शहर में प्रवेश करने की ज़रूरत नहीं होगी. उन्हें बाहरी इलाके में ही शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यापार, मनोरंजन और उद्योग से जुड़ी सभी सुविधाएं मिल जाएंगी. इससे प्राचीन वाराणसी के संकरे हिस्सों में बढ़ती आबादी और यातायात का दबाव घटेगा. साथ ही ग्रामीण इलाकों में स्कूल–कॉलेज, अस्पताल, खेल मैदान और औद्योगिक इकाइयों के निर्माण से बहुआयामी विकास का रास्ता खुलेगा.