
वाराणसी - आईआईटी (बीएचयू) में नदिया पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार हो रहा है. इस सेमिनार में देश-विदेश के विशेषज्ञ नदियों के स्वास्थ्य और उनके पुनर्जीवन पर चर्चा कर रहे हैं. साथ ही वाराणसी सहित पूर्वांचल की नदियों को सुरक्षित रखने की नवीन तकनीकों पर भी विचार-विमर्श किया जा रहा है.
सामुदायिक भागीदारी सबसे महत्वपूर्ण कड़ी
आईआईटी के सिविल इंजीनियरिंग विभाग की ओर से आयोजित “नदियों का स्वास्थ्य और पुनर्जीवन” विषयक सेमिनार में मुख्य अतिथि पद्मभूषण डॉ. अनिल प्रकाश जोशी ने कहा कि नदी पुनर्जीवन में सामुदायिक भागीदारी सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है. फ्रांस के प्रो. हर्वे पिएगे ने नदी प्रदूषण को चिंताजनक बताते हुए इसके संरक्षण के लिए सभी को आगे आने का आह्वान किया. मोतीलाल नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, प्रयागराज के निदेशक प्रो. आरएस वर्मा ने नदी प्रदूषण की बढ़ती समस्या के समाधान के लिए सामूहिक प्रयासों पर बल दिया.
डिजिटल स्मारिका का लोकार्पण
कार्यक्रम में आईआईटी (बीएचयू) के निदेशक प्रो. अमित कुमार पात्रा तथा अन्य अतिथियों ने सेमिनार की डिजिटल स्मारिका का लोकार्पण किया. इस दौरान कक्षा 9 से लेकर स्नातक स्तर तक के विद्यार्थियों ने नदी स्वच्छता और नवोन्मेषी विचारों पर आधारित पोस्टर, मॉडल, फोटोग्राफी और मौखिक प्रस्तुतियाँ प्रदर्शित की. इनमें नदियों के अस्वच्छ होने से उत्पन्न समस्याओं को प्रमुखता से दर्शाया गया. श्रेष्ठ प्रविष्टियों को राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के निदेशक धीरज जोशी और आईआईटी (बीएचयू) सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. अनुराग ओहरी ने पुरस्कृत किया. कार्यक्रम का संचालन प्रो. पीके सिंह ने किया.




