वाराणसी: जिसे काशी और आनन्दवन भी कहा जाता है, आज श्रावण पूर्णिमा और रक्षा बंधन के पावन अवसर पर आध्यात्मिक रंगों में रंगी हुई है। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में बाबा विश्वनाथ का भव्य झूला श्रृंगार किया गया, जिसमें बाबा विश्वनाथ माता पार्वती और श्री गणेश जी के साथ सुसज्जित झूले पर विराजमान होकर भक्तों को आशीर्वाद दे रहे हैं। मंदिर परिसर को रंग-बिरंगे फूलों और आकर्षक रोशनी से सजाया गया, वहीं सुबह से ही दिव्य दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। हर-हर महादेव के गगनभेदी जयकारों से पूरा वातावरण गूंज उठा।
श्रावण मास का अंतिम दिन, श्रावण पूर्णिमा, शिवभक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन समुद्र मंथन के समय निकले विष को महादेव ने अपने कंठ में धारण कर देवताओं और संसार की रक्षा की थी। इसी अवसर पर श्रावणी पर्व की शुरुआत हुई, जिसमें रक्षासूत्र बांधकर भगवान से सुरक्षा का आशीर्वाद मांगा जाता है। यही दिन भाई-बहन के प्रेम और रक्षा के प्रतीक पर्व ‘रक्षा बंधन’ के रूप में भी मनाया जाता है, जिसकी परंपरा भी युगों पुरानी है।
काशी का इतिहास भी इस पर्व को और गहरा बनाता है। पौराणिक कथाओं में काशी को स्वयं भगवान शिव का निवास और मोक्ष की नगरी बताया गया है। इतिहास के पन्नों में यह नगर विश्व की सबसे प्राचीन सतत आबाद बस्ती के रूप में दर्ज है, जहां धर्म, संस्कृति और अध्यात्म का संगम होता है। श्रावण पूर्णिमा के दिन यहां की गलियां, घाट और मंदिर भक्तों से भर जाते हैं, और बाबा विश्वनाथ के भव्य श्रृंगार के दर्शन के साथ काशी की अलौकिक छटा हर किसी के मन में अमिट छाप छोड़ जाती है।