
वाराणसी : Jitiya Vrat 2025: जितिया व्रत का हिंदु धर्म में काफी बड़ा महत्व होता है. यह व्रत मातृत्व के असीम प्रेम और त्याग का प्रतीक माना जाता है. यह पर्व हर वर्ष आश्विन कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पड़ता है, इस दिन महिलाएं अपने बच्चों की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और कुशलता की कामना के लिए यह व्रत करती हैं. ऐसा माना जाता है कि इस व्रत के दौरान कुछ विशेष खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए, जिससे व्रत पूरा होता है. तो चलिए आज आपको बताते चले कि क्या खाकर जितिया व्रत की शुरूआत होती हैं.

जितिया व्रत का धार्मिक महत्व
धार्मिक दृष्टि से देखा जाए तो जितिया का पर्व केवल उपवास या परंपरा नहीं है, बल्कि यह मां का अपने बच्चों के लिए वो असीम प्यार, त्याग और मातृत्व के अद्भुत स्वरूप को दर्शाता है,जो समाज में किसी से नहीं मिलता है. ऐसे में विद्वानों का मानना है कि यह व्रत संतान की रक्षा और उनकी सफलता के लिए मां का सबसे बड़ा संकल्प है. इस पर्व के माध्यम से माताएं भगवान से यह प्रार्थना करती हैं कि उनकी संतान जीवन में हर संकट से सुरक्षित रहे और उनकी आयु लंबी हो.

जितिया पर्व की ये है पौराणिक कथा
जितिया व्रत की जड़ें पौराणिक मान्यताओं से जुड़ी हैं. शास्त्रों के अनुसार यह व्रत जीवपुत्र वाहन नागराज की कथा से संबंधित है. बता दें, एक बार गरुड़ ने एक नाग कुमार को निगलने का प्रयास किया. उस समय जीवपुत्र नाग ने अपने प्राण त्यागकर उस नाग कुमार की रक्षा की. माताओं द्वारा किया जाने वाला यह व्रत उसी बलिदान और रक्षा भावना की स्मृति में मनाया जाता है. मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान पर आने वाली अकाल मृत्यु का संकट टल जाता है और उनके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है.

जितिया व्रत की पूजा विधि
1. सप्तमी तिथि – नहाए-खाए
इस दिन माताएं पवित्र स्नान करके सात्विक भोजन करती हैं. अरवा चावल, दाल और कद्दू-झुकी जैसी पारंपरिक सब्जियां बनाई जाती हैं. नहाए-खाए का भोजन व्रत की शुरुआत माना जाता है.
2. अष्टमी तिथि – निर्जला उपवास
इस दिन माताएं सूर्योदय से लेकर अगले दिन तक बिना भोजन और जल के उपवास करती हैं. शाम को जीवित वाहन (नागराज) की मूर्ति का पूजन किया जाता है. माताएं "जीतिया महिजा मंत्र" का जाप करती हैं और संतान की लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं.
3. नवमी तिथि – पारण
नवमी के दिन व्रत का पारण होता है.
माताएं सूर्योदय के बाद पूजा-अर्चना करके व्रत तोड़ती हैं.
व्रत का पारण सात्विक भोजन से किया जाता है.

व्रत में क्या करें
संतान का मस्तक स्पर्श करके उन्हें आशीर्वाद दें.
ब्रह्मचर्य का पालन करें.
कथा और पूजा विधि का पूरी श्रद्धा से पालन करें.
व्रत के दौरान पूरी निष्ठा से मंत्र जाप और पूजा करें.
व्रत में क्या न करें
व्रत के दौरान तामसिक भोजन का सेवन वर्जित है.
आधे-अधूरे मन से व्रत करने की मनाही है.
निर्जला उपवास में जल का सेवन नहीं करना चाहिए.
व्रत तोड़ने के नियमों की अनदेखी करना अशुभ माना जाता है.




