Kajri Teej 2025: कजरी तीज का व्रत सुहागिनों के लिए बड़ा ही महत्व रखता है. उत्त र भारतीय राज्यों में कजरी तीज पर्व को बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है. तीज की परंपराएं बड़ी ही अद्भुत हैं. महिलाएं इस त्योहार को लेकर बड़ी ही उत्सुक रहती हैं जिसके चलते इसकी तैयारियां वे कई दिन पहले से ही करने लगती हैं. सावन की रिमझिम फुहारों के बीच मनाए जाने वाले इस पर्व में महिलाएं हरी साड़ी, हरी चूडि़यां पहनना काफी पसंद करती हैं. इस त्योहार के दिन मार्केट से लेकर घरों में तक रौनक बनी रहती हैं. वहीं हर व्रतियां कजरी तीज के लुभावने गीतों के साथ झूला झूलती हैं.
ये व्रत करवा चौथ, हरियाली तीज, हरतालिका तीज, और मंगला गौरी व्रत जैसा ही होता है, जिसे हर सुहागिन महिला अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं. अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद बरसाने वाला कजरी तीज का ये पावन उपवास इस साल आज मंगलवार (12 अगस्त 2025) को देशभर में मनाया जा रहा है.
कजरी तीज जैसे पावन पर्व का महत्व भी बड़ा अद्भुत है. जी हां, इस व्रत को विधि-विधान से करने पर सभी विवाहित महिलाओं के पति की जीवन बड़ा ही सुखमय होता है. इस दिन सभी व्रतियां शिव जी और माता पार्वती के साथ उनके पूरे परिवार की बड़ी ही विधि-विधान से पूजन-आरती करती हैं. हर व्रती को इस दिन कजरी तीज की कथा सुनना बहुत महत्वपूर्ण रखता है. क्योंकि ऐसा माना जाता है कि बिना कथा के कजरी तीज का व्रत अधूरा माना जाता हैं.
कजरी तीज व्रत को लेकर लोगों का मानना है कि ये उपवास सिर्फ और सिर्फ शादी-शुदा महिलाएं ही रखती हैं, मगर ये सच नहीं है. इस व्रत को कुंआरी कन्याएं भी मनचाहा वर पाने के लिए रखती हैं. जी हां, ऐसी बहुत सी कुंवारी लड़कियां है जो कजरी तीज का व्रत आज रहकर भगवान शिव और मातानीमड़ी का पूजन करती हैं.
कजरी तीज के दिन नीमड़ी माता की पूजा का बड़ा ही विधान बताया गया है. इसमें महिलाएं नीम की डाली को देवी मां के रूप में पूजती हैं और उससे अखंड सौभाग्यं देने की प्रार्थना करती हैं. दरअसल, नीम का उपयोग बड़े पैमाने पर रोगनाशक औषधियों में किया जाता है. साथ ही नीम का पेड़ वातावरण को शुद्ध करने वाला माना गया है. यहीं कारण है कि नीम के पेड़ की पूजा करने से न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है, बल्कि यह प्रकृति से जुड़ाव और स्त्री सशक्तिकरण का भी प्रतीक को दर्शाता है.
कजरी तीज की मुख्य पूजा शाम के समय की जाती है. इसलिए शाम की पूजा से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और सोलह श्रृंगार करके पूजा में बैठें. विधि विधान पूजा करने के साथ ही कजरी तीज की कथा सुननी चाहिए और भगवान से अपने पति की समृद्धि और लंबी आयु के लिए प्रार्थना करनी चाहिए.