वाराणसी: बाबा विश्वनाथ की नगरी वाराणसी में कजरी तीज की परंपरा कुछ खास और अनोखी होती है. यहां इस पर्व की रात भक्तगण 'जलेबा' का भोग भगवान को अर्पित करते हैं और अगले दिन पूजन व दर्शन की परंपरा निभाई जाती है. साथ ही, आस्थावान व्रती महिलाएं श्रद्धा भाव से पूजा-अर्चना कर अपने दांपत्य सुख की कामना करती हैं.
परम्परागत अंदाज
कजरी तीज की पूर्व संध्या पर सोमवार को सुहागिन महिलाओं ने पूरे श्रद्धा भाव से रतजगा किया. इस रात उन्होंने परंपरागत कजरी गीत गाए और जलेबा का स्वाद लिया. शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक जलेबा की दुकानों पर दोपहर से लेकर देर रात तक लोगों की भीड़ लगी रही. मंगलवार को, भाद्रपद कृष्ण पक्ष तृतीया को सुहागिन महिलाएं कजरी तीज का व्रत रखेंगी और भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन करने के बाद मां विशालाक्षी देवी के दर्शन के लिए यात्रा पर निकलेंगी. इस अवसर पर मां विशालाक्षी के जन्मोत्सव के दौरान शक्तिपीठ में माता का भव्य हरियाली श्रृंगार किया जाएगा. पूजा-अर्चना करने के बाद, चंद्रोदय के समय महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपने पति की लंबी उम्र और सुखमय वैवाहिक जीवन की कामना करेंगी.
क्या है इसकी मान्यता
मान्यताओं के अनुसार, कजरी तीज का व्रत रखने से दांपत्य जीवन में प्रेम, सौभाग्य और समर्पण बढ़ता है. काशी में इस पर्व को लेकर एक विशेष परंपरा देखने को मिलती है. यहां कजरी तीज की पूर्व संध्या पर सुहागिन महिलाएं ‘जलेबा’ मिठाई का सेवन करती हैं और इसके बाद रतजगा करती हैं. रतजगा के दौरान महिलाएं ढोलक और झाल की थाप पर पारंपरिक कजरी गीत गाती हैं. रातभर नृत्य और संगीत का माहौल बना रहता है, जहां महिलाएं एक साथ जुटकर उत्सव का आनंद लेती हैं.अगले दिन सूर्योदय के साथ व्रत की शुरुआत होती है. इस पर्व की उत्सवधर्मिता का आलम यह रहा कि शहर के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी जलेबा की दुकानें पूरी रात खुली रहीं और लोग इस पारंपरिक मिठाई का स्वाद लेकर पर्व का स्वागत किया.
हरियाली श्रृंगार के उपरांत मां विशालाक्षी की पूजा-अर्चना और महाभंडारा
भाद्रपद कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मां विशालाक्षी का जन्मोत्सव मनाया जाता है. इस अवसर पर मां का भव्य हरियाली श्रृंगार किया जाता है. मंदिर के महंत पं. राजनाथ तिवारी के अनुसार, ब्रह्म मुहूर्त से ही विधिवत अनुष्ठान आरंभ हो जाएंगे. मां को सविधि स्नान कराने के बाद नये वस्त्र और आभूषण पहनाए जाएंगे तथा विभिन्न प्रकार के पुष्पों से भव्य श्रृंगार किया जाएगा. मंदिर परिसर में दोपहर से भंडारा शुरू होगा, जो पूरे दिन चलता रहेगा. सायंकाल वसंत पूजा का आयोजन किया जाएगा, जिसमें सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति भी होगी. श्रद्धालुओं के बीच हलुआ-चना का प्रसाद वितरित किया जाएगा. रात 12 बजे अर्धरात्रि में मां की महाआरती के साथ कार्यक्रम का समापन होगा.