Trishund Ganpati Temple: गणेश चतुर्थी का त्योहार देशभर में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जा रहा हैं. इस दौरान मंदिरो से लेकर घर-घर में गणपति बप्पा की मूर्तियां स्थापित की जाती हैं. बप्पा के स्वागत के लिए मंडप सजाए जाते है जिसमें बप्पा को 10 दिनों के लिए विराजते हैं, कुछ लोग अपनी श्रद्धा और भक्ति को देखते हुए बप्पा को कुछ दिनों के लिए ही बैठाते है. जिनका पूजा-अर्चना कर उनकी विदाई करते हैं.
बप्पा के आने की खुशी में सभी भक्तगण नए-नए तरीके के व्यंजन और मिठाइयों के साथ-साथ उनका प्रिय भोग मोदक लगाया जाता है. दस दिनों तक चलने वाला ये गणपति उत्सव भक्तों के लिए खुशियों भरे पल लेकर आता है इन दिनों में हर कोई अपने-अपने घरों में भजन-कीर्तन कर बप्पा की स्वागत में खूब नाच- गाना करता हैं. देश भर में कई भव्य गणपति मंदिर है, मगर गणेश चतुर्थी के इस खास अवसर पर हम आपको एक ऐसे अनोखे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसकी मान्यता सुनकर आप खुद भी हैरान रह जाएंगे.
आपको बता दें, भगवान गणेश जी का एक ऐसा मंदिर है है जहां बप्पा मूषक पर नहीं बल्कि मोर पर विराजमान हैं. यह मंदिर महाराष्ट्र के पुणे में स्थित है. अपनी सुंदरता को लेकर मशहूर इस मंदिर का नाम त्रिशुंड गणपति मंदिर है. इस नाम के पीछे का कारण भी बड़ा ही अद्भुद है. वहीं शहर की चहल-पहल के बीच यह मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है. इस मंदिर का इतिहास लगभग हजारों साल पुराना है. जो काफी रहस्यमयी भी है. पहले यह एक शिव मंदिर हुआ करता था लेकिन बाद में इसे भगवान गणेश जी को समर्पित कर दिया गया.
महाराष्ट्र के पुणे में स्थित त्रिशुंड मयूरेश्वर गणपति मंदिर का नामकरण 'त्रिशुंड' इसलिए पड़ा क्योंकि भगवान गणेश की मूर्ति में तीन सूंड (हाथ-समान सूंडें) और छह भुजाएँ हैं, और वह मोर पर विराजमान हैं, जो एक दुर्लभ चित्रण है, यही कारण है कि इस मंदिर को 'त्रिशुंड मयूरेश्वर' या 'मयूरेश्वर गणपति' भी कहा जाता है.
बता दें, त्रिशुंड मयूरेश्वर गणपति मंदिर का निर्माण 24 अगस्त 1754 को धामपुर के भिक्षु गिरी गोसावी ने शुरू किया था. इसका निर्माण कार्य 1770 में पूरा हुआ. त्रिशुंड विनायक मंदिर का अर्थ तीन सूंड है. यह भगवान गणेश की अनोखी मूर्ति की खासियत को दर्शाता है. जो तीन आंखों वाली और छह भुजाओं वाली इस मूर्ति की खासियत है कि यहां बप्पा मोर पर सवार हैं. इससे भी बड़ी बात तो ये है कि इस मूर्ति को कीमती रत्नों से सजाया गया है. इस प्राचीन मंदिर की मान्यता है कि भगवान गणेश जी की सच्चे मन से पूजा करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाए पूर्ण होती है और सिद्धि विनायक की कृपा से सभी कार्यों में सफलता भी मिलती है.