
Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव आगामी 6 नवंबर को होना है जिसे लेकर राजनीतिक दलों ने अपनी रणनीतियों को धार देना भी शुरू कर दिया है. हर बार की ही तरह इस बार भी कई राजनीतिक दलों ने नेताओं के रिश्तेदारों को टिकट देने का काम किया है. इस लिस्ट में आरजेडी का नाम भी शामिल है, जहां पार्टी के मुखिया लालू प्रसाद यादव ने परसा विधानसभा सीट से करिश्मा राय को टिकट देते हुए अपना उम्मीदवार घोषित किया है. करिश्मा बड़े बेटे तेज प्रताप यादव की चचेरी साली हैं. लालू ने यह फैसला ऐसे समय पर लिया है, जब तेज प्रताप और उनकी पत्नी ऐश्वर्या राय के बीच पारिवारिक विवाद चल रहा है, जो कोर्ट में लंबित है.

बता दें कि राजद ने परसा विधानसभा सीट से पूर्व मुख्यमंत्री दारोगा प्रसाद राय की पोती, पूर्व मंत्री विधानचंद्र राय की बेटी हैं और बिहार के सीजीएसटी (केंद्रीय वस्तु एवं सेवाकर) कमिश्नर विजय सिंह यादव की पत्नी डॉ. करिश्मा राय को चुनावी टिकट दिया है. इससे भी खास बात तो यह है कि वर्तमान में राजद की प्रत्याशी बनी करिश्मा के पति का चुनाव आयोग से कनेक्शन हैं. इसी कनेक्शन के चलते निर्वाचन आयोग की बिहार की समीक्षा बैठक में वो शामिल हुए थे. हैरानी की बात तो यह है कि, लालू ने करिश्मा को टिकट देकर अपने ही परिवार में विवादों के कटघरे में खड़ा कर लिया है. क्योंकि, तेज प्रताप की पत्नी ऐश्वर्या राय के रिश्ते में करिश्मा चचेरी बहन लगती है. ऐसे में उन्हें अपना प्रत्याशी बनाकर राजद ने अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारने का काम किया है.

दरअसल, बीते कुछ दिनों पहले तेज प्रताप यादव ने सोशल मीडिया पर अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर पोस्ट किया था, जिसे लेकर लालू परिवार ने उनकी खूब आलोचना भी की थी. धीरे-धीरे ये विवाद काफी गहरा गया. इन बढ़ते विवादों के चलते लालू यादव ने अपने बड़े बेटे तेज प्रताप को परिवार के साथ-साथ अपनी राजद पार्टी से भी निष्काषित कर दिया.

पारिवारिक विवादों के चलते घर और पार्टी दोनों से हाथ धो बैठे तेज प्रताप ने अपनी नई पार्टी बना ली, जिसका नाम जनशक्ति पार्टी है. इसके तहत तेज इस बिहार चुनाव में महुआ सीट से चुनाव लड़ने का एक बड़ा फैसला लिया हैं. उनके इस फैसले से RJD का यादव वोट बैंक कुछ हद तक खिसकने की आशंका जताई जा रही है जिसे लेकर लालू और तेजस्वी की धड़कने काफी बढ़ने लगी हैं. हालांकि, करिश्मा को टिकट देकर राजद ने तेज प्रताप को सियासी तौर पर आइना दिखाने की कोशिश की है, बल्कि यह संकेत भी दिया है कि RJD अब निजी विवादों से ऊपर उठकर राजनीतिक रणनीति पर ध्यान दे रही है.

इस फैसले को लेकर चर्चा है कि लालू का यह फैसला उम्मीदवार चयन के साथ-साथ सियासी डैमेज कंट्रोल रणनीति भी है. जो ये साफ बयां करता है कि करिश्मा राय को टिकट देकर पारिवारिक समीकरण संभालने की कोशिश की है. साथ ही यादव मतदाताओं को एकजुट रखने का संदेश भी दिया गया है. अब देखने वाली बात यह है कि एक ही परिवार में बनने वाली दो पार्टियां राजद और जनशक्ती का खेल क्या रंग लाता है. या यूं कहे कि, तेज प्रताप की बनी नई पार्टी अपने ही पिता का चुनाव हड़पने में कामयाब होगी या फिर बिहार चुनाव में जबरदस्त टक्कर देगी.




