
वाराणसी – हिंदुस्तानी संगीत के सम्राट पद्मविभूषण पं. छन्नूलाल मिश्र के निधन से शास्त्रीय गायन प्रेमियों में शोक की लहर है. देश में संगीत से संबंधित जितने भी बड़े सम्मान है वह सब पिताजी को मिल चुके हैं. यश भारती, संगीत संत, पद्मविभूषण सहित सम्मान की काफी लंबी सूची है. देश के कई प्रदेश में वह सम्मानित हो चुके हैं. उनका श्रोताओं से अद्भुत कनेक्ट था. उक्त बातें पंडितजी की बेटी मिर्जापुर के केबी कालेज की प्रो. नम्रता मिश्रा ने कही.
पिता के अंत समय साथ रहने का है सुकून
उन्होंने कहा कि वे मेरे पिता और गुरु दोनों थे. बचपन से ही हर कार्यक्रम में मुझे अपने साथ ले जाते थे. उनका सम्मान होते देखकर मुझे भी गौरव की अनुभूति होती थी. उनके साथ स्टेज पर बैठना ही मेरे लिए सौभाग्य की बात होती थी. मुझे सुकून है कि मैं अंत समय तक पिताजी के साथ रही. इस वक्त मेरे पास शब्द ही नहीं है कि मैं उनका गुणगान कर सकूं.
देश ही नहीं विदेशों में भी प्रशंसक
नम्रता ने कहा कि पिताजी की पूरी बात और पूरा जीवन अनुशरण करने योग्य है. सगीत, अध्यात्म, ठुमरी, चैती, कजरी का वे अद्भुत तरीके से विश्लेषण करते थे. यही कारण है कि देश ही नहीं विदेशों में भी उनके प्रशंसक आज भी उनसे कुछ न कुछ सीखते रहे. उनके गाने में एक समझ होती थी, जिसे आम आदमी भी महससू कर लेता था कि पिताजी क्या कहना चाहते हैं.
पंडित छन्नूलाल मिश्रा की बेटी प्रो. नम्रता मिश्रा ने बताया कि गृहमंत्री, मुख्यमंत्री कार्यालय से फोन आया था. इससे पहले मिर्जापुर के कमिश्नर और जिलाधिकारी ने भी फोन से वार्तालाप की. पूरे राजकीय सम्मान के साथ पिताजी के पार्थिव शरीर को काशी लेकर जाया जा रहा है. इसके लिए वाराणसी प्रशासन से भी बातचीत हुई है. वहां पर भी पूरी व्यवस्था शुरू कर दी गई है. उन्होंने बताया कि पिताजी का निधन गुरुवार की सुबह करीब सवा 4 बजे हुआ.
ALSO READ : नाटी इमली भरत मिलापः जाम का रहेगा झाम, इन रास्तों पर हो सकते हैं परेशान
पुरस्कार और सम्मान
पंडित छन्नुलाल मिश्र को उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, नौशाद पुरस्कार और यश भारती पुरस्कार से सम्मानित किया गया. भारत सरकार ने उन्हें 2010 में पद्मभूषण और 2020 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया. वे संगीत नाटक अकादमी फेलोशिप से भी अलंकृत किए गए थे.




