राष्ट्रीय खेल दिवस : हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद को किया जा रहा नमन

वाराणसी : आज पूरा देश हॉकी के महानायक और ‘हॉकी के जादूगर’ के नाम से विख्यात मेजर ध्यानचंद को उनकी जयंती पर नमन कर रहा है. हर वर्ष 29 अगस्त को उनके जन्मदिवस को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है. 29 अगस्त 1905 को इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में जन्मे ध्यानचंद को भारतीय हॉकी का पर्याय माना जाता है. 2012 से उनके सम्मान में इस दिन को राष्ट्रीय खेल दिवस घोषित किया गया.
मेजर ध्यानचंद और बर्लिन ओलंपिक की कहानी
1936 में बर्लिन ओलंपिक के दौरान भारत ने जर्मनी को 8-1 से हराकर हॉकी में ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी. इस मुकाबले में ध्यानचंद ने अपने करिश्माई खेल से जर्मन टीम की कमर तोड़ दी थी. दर्शक दीर्घा में मौजूद जर्मनी के शासक हिटलर इस हार से बेहद नाराज़ होकर बीच मैच ही स्टेडियम से बाहर निकल गए थे. लेकिन मैच खत्म होने के बाद, हिटलर ध्यानचंद के खेल से इतना प्रभावित हुआ कि उसने उन्हें अपनी सेना में शामिल होने और जर्मनी की तरफ से खेलने का प्रस्ताव दिया.
जब हिटलर ने पूछा कि “आप हॉकी के अलावा क्या करते हैं ?”, ध्यानचंद ने उत्तर दिया – “मैं भारतीय सेना में हूं. हिटलर ने उन्हें जर्मन सेना में उच्च पद देने का वादा किया, मगर ध्यानचंद ने दृढ़ता से मना कर दिया. उन्होंने कहा – “मैंने भारत का नमक खाया है, अपने देश से गद्दारी नहीं करूंगा।” यही बात उनकी देशभक्ति और खेल के प्रति समर्पण का सबसे बड़ा उदाहरण बन गया.
भारत के हॉकी सम्राट
मेजर ध्यानचंद तीन बार ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता रहे (1928, 1932 और 1936). उनके नेतृत्व में भारत ने हॉकी में विश्व पटल पर दबदबा कायम किया. उन्हें उनके अद्वितीय खेल कौशल के कारण पूरी दुनिया “हॉकी का जादूगर” कहकर पुकारने लगी.
बचपन से ही हॉकी का जुनून
ध्यानचंद के पिता समेश्वर दत्त सिंह सेना में कार्यरत थे और वहीं हॉकी खेलते थे. पिता के तबादले के बाद परिवार झांसी आ गया, जहाँ ध्यानचंद ने शिक्षा प्राप्त की. मात्र 14 साल की उम्र में उन्होंने पहली बार हॉकी उठाई. धीरे-धीरे उनका यह शौक जुनून में बदल गया और उन्होंने हॉकी खेलने को ही अपने जीवन का ध्येय बना लिया.
राष्ट्रीय खेल दिवस का महत्व
राष्ट्रीय खेल दिवस केवल एक स्मृति दिवस नहीं है, बल्कि यह देश की खेल संस्कृति और खिलाड़ियों के योगदान को सम्मानित करने का अवसर है. इस दिन राष्ट्रपति भवन में देश के सर्वोच्च खेल सम्मान दिए जाते हैं –
मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार
अर्जुन अवॉर्ड
द्रोणाचार्य अवॉर्ड
ध्यानचंद अवॉर्ड
इसका उद्देश्य युवाओं को खेलों की ओर आकर्षित करना और स्वस्थ जीवनशैली के लिए प्रेरित करना है.
इस वर्ष के आयोजन
राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने खिलाड़ियों और खेल प्रेमियों को शुभकामनाएं दीं. दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खिलाड़ियों को सम्मानित किया. वहीं वाराणसी, लखनऊ, दिल्ली समेत कई शहरों में “फिट इंडिया” अभियान के अंतर्गत दौड़, साइक्लिंग रैली और योगाभ्यास कार्यक्रम आयोजित हुए. साथ ही स्कूलों और कॉलेजों में दौड़, कबड्डी, वॉलीबॉल, फुटबॉल और अन्य खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया.

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