
Importance of Garba-dandiya : शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व शुरू हो चुका है. इस नवरात्रि के दौरान माता दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. जहां माता दुर्गा के जयकारों से पूरा पंड़ाल गूंज उठता है. भक्तिमय नवरात्रि के इस पर्व में पूजा-पाठ के अलावा सांस्कृतिक झलक भी देखने को मिलती है. जी हां हम बात कर रहे गरबा और डांडिया की जिसकी तैयारियां जोरों पर चल रही हैं. जिसे कई धार्मिक त्योहारों पर खेला जाता है, खासकर नवरात्रि पर जहां नौ दिनों तक चलने वाले इस नवरात्रि के पर्व में गरबा और डांडिया का उत्सव चार चांद लगा देता है. जिसमें हर कोई मस्त-मग्न होकर खेलता है.

गरबा और डांडिया एक ऐसा चलन है जिसके बिना नवरात्र अधूरा सा लगता है. नवरात्रि के दौरान डांडिया और गरबा नाइट्स का खास आयोजन होता है, जिसमें लोग पारंपरिक और रंग-बिरंगे परिधानों में अपना जलवा बिखेरते नजर आते हैं. देशभर में इस उत्सव की रौनक देखने को मिलता है.

बता दें, गरबा और डांडिया के दो अलग-अलग नृत्य रूप हैं जो नवरात्रि के उत्सव को और भी रंगारंग कर देते है. गरबा एक भक्तिपूर्ण नृत्य है जिसमें लोग देवी दुर्गा के चारों ओर एक घेरा बनाकर हाथ और पैरों के मूवमेंट करते हैं, जबकि डांडिया रंगीन डंडियों (छड़ियों) के साथ खेले जाने वाला एक जीवंत नृत्य है, जो देवी दुर्गा और महिषासुर के बीच के युद्ध को दर्शाता है. गरबा में किसी उपकरण की आवश्यकता नहीं होती, जबकि डांडिया बिना छड़ियों के अधूरी सी है. हालांकि, डांडिया का नृत्य अब लोकप्रिय हो गया है. भक्तों द्वारा किया गया यह नृत्य मां दुर्गा पर अटूट विश्वास और भक्त की आस्था को दर्शाता है.

गरबा का महत्व
दरअसल, गरबा का अर्थ “गर्भ” से होता है, जो देवी के गर्भ में निहित जीवन और स्त्री शक्ति का प्रतीक है, जहां पर गरबा एक तरह से पारंपरिक अनुष्ठान के साथ होने वाला नृत्य है जो मिट्टी के बर्तन (गरबी) में जलते हुए दीपक के चारों ओर किया जाता है, ये मां दुर्गा की दिव्यता, जीवन के चक्रीय स्वरूप और ब्रह्मांडीय ऊर्जा को दर्शाता है.

यह खास तरह के नृत्य गरबा का मुख्य उद्देश्य यह होता है कि, देवी दुर्गा की आराधना करना और उनके भीतर छिपी असीम ऊर्जा और शक्ति का सम्मान करना है. गरबा एक वृत्त यानी ( घेरे) में किया जाता है, जो समय के चक्रीय स्वरूप को दर्शाता है – जिसे जन्म, जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म. माना गया है.




