वाराणसी: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में अवैध रूप से पेड़ काटने के मामले में सख्त कार्रवाई की है. अधिकरण ने आदेश दिया है कि इसके लिए पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति (Environmental Compensation) वसूली जाए और हर कटे हुए एक पेड़ के बदले 20 नए पेड़ लगाए जाएं. इसके साथ ही, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) को तीन महीने के भीतर इस नुकसान का आकलन कर जुर्माना वसूलने का निर्देश दिया गया है. यह आदेश राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) की पीठ ने सोमवार को सुनाया, जिसमें चेयरपर्सन न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य डॉ. ए. सेथिंल वेल शामिल थे. इस मामले में याचिका दायर कर सौरभ तिवारी ने पैरवी की थी.
बीएचयू की दलील खारिज
सुनवाई के दौरान बीएचयू ने यह तर्क दिया कि जिन 12 पेड़ों को काटा गया, वे खतरनाक स्थिति में थे, इसलिए उन्हें हटाया गया. लेकिन एनजीटी ने इस दलील को स्वीकार नहीं किया और इसे खारिज कर दिया. अपने आदेश में अधिकरण ने यह भी कहा कि काटे गए चंदन के पेड़ों की चोरी से जुड़ा मामला संदेहास्पद प्रतीत होता है.
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को दिया निर्देश
एनजीटी ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) को निर्देश दिया है कि वह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) को अपनी बात रखने का पूरा मौका देते हुए तीन महीने के भीतर पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति राशि तय करे और इसे बीएचयू से वसूल करे.
बीएचयू प्रशासन पर बढ़ा दबाव
इसके साथ ही, अधिकरण ने यह भी स्पष्ट किया कि पौधारोपण अभियान का यह अर्थ नहीं लगाया जा सकता कि विश्वविद्यालय को पूरी तरह विकसित और स्वस्थ पेड़ों को अवैध रूप से काटने की अनुमति मिल जाती है.
इस आदेश के बाद बीएचयू प्रशासन पर यह दबाव बढ़ गया है कि वह पर्यावरणीय नियमों का सख्ती से पालन करे और वृक्षों के संरक्षण को प्राथमिकता दे.