वाराणसी: दोपहिया वाहनों के व्यावसायिक इस्तेमाल पर अब टैक्स देना अनिवार्य होगा. ऑनलाइन शॉपिंग कंपनियों और कूरियर सेवाओं में कार्यरत डिलीवरी बॉय अथवा कूरियर बॉय यदि बाइक या स्कूटी से पार्सल पहुंचाते हैं, तो उन वाहनों को अब निजी वाहन नहीं बल्कि व्यावसायिक वाहन की श्रेणी में रखा जाएगा. इस नई व्यवस्था के लागू होने के बाद ऐसे वाहनों के मालिकों को कॉमर्शियल टैक्स चुकाना पड़ेगा.
बड़ी संख्या में दोपहिया वाहनों का उपयोग हो रहा कॉमर्शियल
आरटीओ (प्रवर्तन) मनोज कुमार वर्मा ने बताया कि विभाग की ओर से इस दिशा में तैयारी की जा रही है. वर्तमान समय में ऑनलाइन प्लेटफार्म और कूरियर कंपनियां बड़ी संख्या में दोपहिया वाहनों का उपयोग डोर-टू-डोर डिलीवरी के लिए कर रही हैं. लेकिन ये सभी वाहन सामान्य रूप से निजी उपयोग की श्रेणी में पंजीकृत होते हैं, जिसके चलते सरकार को राजस्व का नुकसान होता है. अब इन्हें व्यावसायिक श्रेणी में लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. नई व्यवस्था लागू होने के बाद बाइक या स्कूटी से डिलीवरी का काम करने वालों को नियम अनुसार टैक्स देना होगा. इसके साथ ही इन वाहनों के लिए कॉमर्शियल इंश्योरेंस और अन्य औपचारिकताएं भी पूरी करनी पड़ेंगी.
परिवहन व्यवस्था होगी अधिक पारदर्शी
विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से जहां सरकार को अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा, वहीं परिवहन व्यवस्था भी अधिक पारदर्शी होगी. हालांकि, इसका सीधा असर डिलीवरी और कूरियर कार्य करने वाले युवाओं पर पड़ सकता है. कंपनियां टैक्स और बीमा जैसी अतिरिक्त लागत का बोझ कर्मचारियों पर डाल सकती हैं, जिससे उनकी आय प्रभावित हो सकती है.
फिर भी प्रशासन का तर्क है कि यदि कोई वाहन सीधे-सीधे व्यवसाय में उपयोग हो रहा है तो उसका वर्गीकरण भी व्यावसायिक होना चाहिए. आने वाले समय में इस व्यवस्था के लागू होते ही शहर में डिलीवरी सेवाओं का ढांचा और स्पष्ट नियमों के तहत संचालित होगा.