Jelly Ice: "जेली" बर्फ आपके कोल्ड ड्रिंक को ठंडा करने वाले क्यूब्स की जगह ले सकती है. दोबारा से इस्तेमाल होने वाले क्यूब्स अपनी स्पंज जैसी संरचना के अंदर पानी को जमाने का काम करते हैं. खास बात तो ये है कि यह पानी जम तो सकता है, लेकिन किसी भी कीमत पर ये बाहर नहीं निकल सकता है. ऐसे में कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय, डेविस के शोधकर्ताओं की रिसर्च के मुताबिक, उनका यह आविष्कार खाद्य पदार्थों को ठंडा करने वाली तकनीक में नए आयाम खोलने का रास्ता दिखाता है. जी हां, जो बर्फ या पारंपरिक कूलिंग पैक पर निर्भर हुए बिना भोजन को ठंडा रखने और ताजा भेजने के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है. वहीं पर्यावरण के अनुकूल 'जेली आइस क्यूब' कोल्ड स्टोरेज को काफी हद तक बदलने में लाभदायक भी होता है.
हाइड्रोजन से बने जेली आइस क्यूब यानी "पानी-जेल" हाइड्रोजेल सुनने में थोड़ा अजीब तो लगता है, मगर आपने शायद पहले भी हाइड्रोजेल खाया होगा, जिसे जेलो कहते हैं. आप इस लोकप्रिय व्यंजन को फ्रीज़ में स्टोर भी कर सकते हैं. दूसरी ओर दिक्कत यह है कि पिघलने के बाद, यह चिपचिपा सा हो जाता है. जिस पर जैविक और कृषि अभियांत्रिकी विभाग के प्रोफ़ेसर गैंग सन ने कहा, "जब बर्फ पिघलती है, तो उसका दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. ऐसे में हम एक तथाकथित ठोस बर्फ बना सकते हैं जो शीतलन माध्यम के रूप में काम करेगी और दोबारा से इसे इस्तेमाल भी किया जा सकेगा".
इस जेली में कूट-कूट कर खासियत भरी है, जिन्हें जान आप खुद भी हैरान रह जाएंगे, जी हां, ये जेली आइस क्यूब्स नहीं हैं, इसलिए इन्हें बार-बार जमाया और पिघलाया जा सकता है. ये पर्यावरण के अनुकूल हैं. इनके दोबारा इस्तेमाल करने से एक बड़ा फायदा होता है, वो फायदा ये है कि इससे पानी की बचत होती है. इसके अलावा, हाइड्रोजेल बायोडिग्रेडेबल है, प्लास्टिक फ्रीजर पैक के विपरीत, अपनी उपयोगी समय के खत्म होने के बाद से ये लंबे समय तक चलने वाला प्लास्टिक कचरा नहीं छोड़ते हैं, जिससे ये कम्पोस्ट भी बन सकते हैं. इसे 10 बार से ज्यादा भी इस्तेमाल करने के बाद इन जेली आइस क्यूब्स का इस्तेमाल बगीचे को उपजाऊ बनाने के साथ ही ये रोगाणुरोधी भी हैं, जो क्रॉस-संदूषण को रोकने में मददगार साबित होते हैं.
आपको बता दें कि बर्फ ऊष्मा सोख लेती है, जिससे उसके आस-पास की चीज़ें ठंडी हो जाती हैं. इसे एक उदाहरण के तौर पर समझे तो बर्फ का टुकड़ा पकड़ने पर ऐसा लगता है जैसे बर्फ से ठंड आपके हाथ में आ रही है. लेकिन सच तो यह है कि ठंडक का यह एहसास असल में आपके हाथ से निकलने वाली गर्मी से आता है. जब बर्फ पर्याप्त ऊष्मा सोख लेती है, तो वह पिघलने लगती है. लेकिन वांग बताते हैं कि जेलीनुमा बर्फ के टुकड़ों में पानी "जेल संरचना में फंसा होता है. कूलिंग क्यूब्स की बात करें तो इसमें 90% से ज़्यादा पानी और संरचना को स्थिर रखने वाले अन्य तत्व होते हैं. ये छूने में जिलेटिन की मिठाई जैसे मुलायम होते हैं और तापमान के अनुसार रंग बदलते रहते हैं.