


बता दें, ‘वोट चोरी' से जुड़े अपने पहले खुलासे का हवाला देते हुए राहुल गांधी ने दावा किया था कि ‘‘एटम बम'' के बाद अब ‘‘हाइड्रोजन बम'' आने वाला है. दिलचस्प बात तो ये है कि राहुल ने भी भाजपा की तरह मौका देख चौका मारने वाला काम कर बैठे है, जी हां, इन बयानों से ये साफ जाहिर होता है कि कहीं न कहीं इस मुद्दे का फायदा उठाते हुए उन्होंने चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर एक बड़ा सवाल खड़ा किया है.

हालांकि, राहुल गांधी ने अपने बयानों में आगे कहा कि पहले तो बैलेट पेपर से ही चुनाव होते थे, वो भी देशभर में एक दिन में ही वोटिंग कराई जाती थी. लेकिन अब मशीन के जरिए चुनाव हो रहा है. ऐसे में हैरानी की बात तो ये है कि आजकल मशीनों द्वारा चुनाव होने के बावजूद भी कई चरणों में मतदान कराया जाता है. उसके बाद भी चुनावी नतीजा जनता के मनमुताबिक नहीं मिलता है. साथ ही जो जीतने के हकदार होता है वो हार जाता है और तो कुछ ऐसे है जो हारकर भी जीत जाते है. ये काफी आश्यर्य की बात है.

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने वोट चोरी मामले पर अपनी नाराजगी खुलकर जताते हुए कहा, चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली का जिम्मेदार वो खुद नहीं बल्कि भाजपा सरकार है, जिसने चुनाव आयोग को भी खरीद लिया है. नतीजा भी हर किसी के सामने है. निष्पक्ष चुनाव का टैग लेकर घूमने वाला चुनाव आयोग अब दलित, ओबीसी और अल्पसंख्यकों को टारगेट करके उनका नाम वोटर लिस्ट से काट रहा हैं.

चौकाने वाली बात तो ये है कि जिनके नाम आयोग ने काटे हैं उन्हें इस बात की जरा भी भनक नहीं हैं. वहीं बात करें, कर्नाटक के आलंदा सीट की जहां 6018 (छह हजार अठारह) वोट काटे गए हैं. जिसमें महज 14 मिनट में 12 वोट डिलीट कर दिये गए है. जिससे ये साबित होता है कि चुनाव आयोग वोट चोरों को बचा रहा है. लेकिन शायद उसे ये नहीं पता कि वो खुद लोकतंत्र की हत्या के साथ-साथ मतदाताओं से उनका हक भी छीन रहा है.
अपनी इन्हीं हरकतों के चलते आज तक बीजेपी ने हर चुनाव में अपनी जीत का परचम लहराया है. उसकी इस जीत को देख भोली-भाली जनता को लगता है कि ये भारतीय जनता पार्टी ने अपनी मेहनत से जीत हासिल की है, लेकिन सच तो ये है कि सत्ता पर कब्जा जमाए बैठी भाजपा घोटाले के साथ-साथ वोट चोरी भी करने में काफी माहिर है. जिसका नतीजा हर किसी के सामने है, चुनाव मतगणना के दौरान कभी ओपिनियन पोल्स कुछ कहते है, तो रिजल्ट कुछ और ही आता है.

अचानक से आये इस चुनावी नतीजे का कारण पार्टी की कार्य योजनाएं बताई जाती है, जिसका खूब बखान किया जाता है. उदाहरण के तौर पर लाडली बहना, पुलवामा हमला और अब ऑपरेशन सिंदूर जिसका गुणगान भाजपा खुद हर राज्य में जा-जाकर कर रही है. जिसे राहुल ने चुनावी कोरियोग्राफी करार दिया.




