Sunday, 23 November 2025

बनारस में मिली 9वीं सदी की दुर्लभ एकमुखी शिवलिंग मूर्ति

बनारस में मिली 9वीं सदी की दुर्लभ एकमुखी शिवलिंग मूर्ति
Nov 21, 2025, 08:23 AM
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Posted By Gaandiv

वाराणसीः मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर चौबेपुर क्षेत्र स्थित गंगा के उत्तरी तट पर एक अत्यंत दुर्लभ एकमुखी शिवलिंग की मूर्ति मिली है. जांच के बाद विशेषज्ञों इस शिवलिंग को 9वीं से 10वीं सदी के गुरजर–प्रतिहार काल में निर्मित होने की जानकारी दी है. यह मूर्ति गंगा नदी के उत्तरी तट पर ग्रामीणों को दाह संस्कार में शामिल होने के दौरान मिली थी.


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मूर्ति बेहद दुर्लभ और ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण


बलुआ पत्थर से बनी यह एकमुखी शिवलिंग की मूर्ति के मुख पर भगवान शिव की शांत मुद्रा, जटामुकुट, गोल कुंडल और सूक्ष्म नक्काशी इसे कलात्मक रूप से अत्यंत विशिष्ट बनाती है. मूर्ति का ऊपरी भाग गोलाकार लिंगाकार है, जबकि सामने स्पष्ट रूप से उकेरा गया शिव–मुख इसे बेहद दुर्लभ और ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है.

उत्कृष्ट शिल्पकला का प्रमाण

विशेषज्ञों की माने तो यह मूर्ति प्रतिहार काल की उत्कृष्ट शिल्पकला का प्रमाण है. इसमें उस युग की सौम्यता और स्थानीय कारीगरों की निपुणता साफ दिखाई देती है. गंगा किनारे इस तरह की मूर्ति का मिलना यह संकेत देता है कि यहां कभी एक सक्रिय शैव मंदिर या मठ रहा होगा.


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तैयार किया जा रहा वैज्ञानिक सर्वेक्षण और संरक्षण का प्रस्ताव


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बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि जिस स्थान पर यह मूर्ति ग्रामीणों को मिली थी वहां वैज्ञानिक सर्वेक्षण और संरक्षण का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है, ताकि इस महत्वपूर्ण खोज का सही अभिलेखन हो सके. वैसे इस मूर्ति का पाया जाना वाराणसी के आस-पास के पुरातात्त्विक परिदृश्य को एक नया आयाम देती है. मूर्ति की शैली और पत्थर स्पष्ट करते हैं कि यह स्थानीय शिल्पियों द्वारा निर्मित कृति है. वहीं विशेषज्ञों के अनुसार, यह खोज वाराणसी क्षेत्र में मध्यकालीन शैव परंपरा, गंगा तटीय सभ्यता और प्रतिहार कालीन कला शैली के अध्ययन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण साक्ष्य भी है.