
वाराणसीः कमिश्नरी सभागार में नेशनल रूरल लाइवलीहुड मिशन (NRLM) द्वारा आयोजित कार्यक्रम में अटल इंक्यूबेशन सेंटर, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (AIC–BHU) तथा NRLM के बीच एक प्रमुख समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर हुआ. यह समझौता ग्रामीण क्षेत्रों की स्वयं सहायता समूह (SHG) महिलाओं के उत्पादों को नई पहचान और बाजार उपलब्ध कराने की दिशा में एक बड़ा कदम है. इस विशेष अवसर पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल की गरिमामयी उपस्थिति रही. उन्होंने कहा कि ग्रामीण महिला उद्यमिता को इससे संबल मिलेगा.
इनकी रही खास उपस्थिति
इस दौरान मंच पर सीडीओ हिमांशु नागपाल, महापौर अशोक कुमार तिवारी तथा नेशनल रूरल लाइवलीहुड मिशन (NRLM) के अधिकारी उपस्थित रहे. कार्यक्रम में लगभग 150 स्वयं सहायता समूहों (SHG) की सदस्याएं भी मौजूद रहीं. AIC–BHU से प्रोफेसर-इन-चार्ज प्रो. पी. वी. राजीव, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी डॉ. नंद लाल तथा प्रबंधक डॉ. परीशा मालू कार्यक्रम में शामिल हुए. साथ ही NRLM के उपआयुक्त श्री पवन कुमार सिंह एवं NRLM के वरिष्ठ अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे. एमओयू पर हस्ताक्षर AIC–BHU के प्रोफेसर-इन-चार्ज प्रो. पी. वी. राजीव और NRLM के उपआयुक्त श्री पवन कुमार सिंह ने उत्तर प्रदेश की माननीय राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल की उपस्थिति में किए.
समूहों के उत्पाद राष्ट्रीय संग अंतरराष्ट्रीय मंचों तक पहुंचाने की योजना
एमओयू के तहत, AIC–BHU, NRLM के अंतर्गत चयनित 150 स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों की ब्रांडिंग, मार्केटिंग और प्रमोशन की जिम्मेदारी निभाएगा. AIC–BHU द्वारा SHG समूहों को विपणन, तकनीकी सहायता, डिजिटलीकरण, प्रशिक्षण तथा प्रोडक्ट प्रमोशन के लिए पूरे वर्ष मार्गदर्शन और सहयोग दिया जाएगा. SHG समूहों के उत्पादों को स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों तक पहुँचाने की योजना बनाई गई है. यह साझेदारी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने व ग्रामीण अर्थव्यवस्था को प्रबल करने में सहायक होगी.
राज्यपाल ने 150 कौ सौंपे सम्मान प्रमाणपत्र और किट्स
इसी अवसर पर, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने जिला NRLM के अंतर्गत आने वाले 150 चयनित SHG समूहों को सम्मान प्रमाणपत्र और किट्स प्रदान किए. इससे उनके प्रयासों की सार्वजनिक सराहना हुई और उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली. यह एमओयू ग्रामीण महिला उद्यमिता, उत्पादकता और बाज़ार-विस्तार की दिशा में एक महत्वपूर्ण अध्याय साबित होगा. ऐसे प्रयास SHG समूहों की आत्मनिर्भरता को मज़बूत करेंगे और नए रोजगार तथा विकास के रास्ते खोलेंगे.




