वाराणसीः गंगा तट पर आस्था और आजीविका, दोनों का गहरा संबंध है. गंगा किनारे 500 मीटर के दायरे में लाखों लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी इसी नदी पर निर्भर करती है. लेकिन जुलाई-अगस्त में आई बाढ़ ने इनकी दिनचर्या पूरी तरह बदल दी. लोग अपना घर-बार छोड़कर सुरक्षित ऊंचे इलाकों में चले गए. अब बाढ़ का पानी घटने के साथ ही हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं. गंगा का पानी सड़कों और गलियों से उतरकर घाटों की सीढ़ियों की ओर लौट रहा है. तट पर रहने वाले लोग दोबारा अपने ठिकाने जमाने लगे हैं. पंडा-पुजारी भी तख्त और छतरियां लगाकर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देने में जुट गए हैं.
कितना जल स्तर कम हुआ
बता दें कि 5 अगस्त को जलस्तर 71.26 मीटर के खतरे के निशान को पार कर 72.23 मीटर तक पहुंच गया था. 6 अगस्त से पानी उतरना शुरू हुआ और अब यह तेजी से घट रहा है. सोमवार को जलस्तर घटकर 68.20 मीटर हो गया, यानी चार मीटर से अधिक की इसमें कमी आई है. दशाश्वमेध घाट पर पानी 19 सीढ़ी नीचे चला गया है, जहां सफाई के लिए प्रेशर पाइप का इस्तेमाल हो रहा है. जल पुलिस चौकी भी पानी से बाहर आ चुकी है. पुराने दशाश्वमेध घाट पर बाढ़ का पानी कालिका गली मोड़ तक आया था, जिसकी सफाई पूरी हो चुकी है.
पूजा फिर से शुरू
गंगा मंदिर में पूजा-पाठ फिर से शुरू हो गया है, हालांकि शीतला मंदिर का ऊपरी हिस्सा ही पानी से बाहर आया है. वैसे दुकानदारों ने अपनी दुकानें दोबारा सजा ली हैं. काशी के घाट, जो साधु-संत, पर्यटक, तीर्थयात्री और विदेशी हिप्पियों से गुलजार रहते थे, अब धीरे-धीरे आबाद हो रहे हैं. मगर अभी वह रौनक, घंटा-घड़ियाल की आवाज और बनारसी मस्ती पूरी तरह लौटने में करीब 15 दिन और लगेंगे. फिलहाल गंगा का तेज बहाव नावों के संचालन में बाधा बना हुआ है जिसके चलते सुबहे बनारस या घाटों की चहल-पहल देखने आए कई सैलानी मायूस होकर लौट रहे हैं.