
वाराणसी : नवरात्र के पहले दिन लागू हुई नई जीएसटी दरों (GST 2.0) ने बाजारों में रौनक लौटा कर खरीदारों की भीड़ बढ़ा दी है. सरकार के बड़े कर सुधार के साथ कई रोज़मर्रा की वस्तुओं की दरें घटाई गईं. इसका असर दुकान-दुकान तक पहुंचना अनिवार्य है. राज्यकर विभाग ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि खरीदारी कर ग्राहक हमेशा पक्का बिल लें. यदि दुकानदार छूट नहीं दे रहा या बिल पर जीएसटी का जिक्र नहीं कर रहा हो तो तुरंत 1915 पर शिकायत दर्ज कराएं. पक्का बिल ही उस शिकायत का मुख्य सबूत होगा.
क्या बदला है — संक्षेप में (क्यों जरूरी है ये जानना)
सरकार ने कर स्लैबों का सरलीकरण करते हुए बड़े बदलाव किए हैं. इसके तहत कई उत्पादों को ऊंचे स्लैब से नीचे लाया गया है, जिससे उपभोक्ता चीज़ें सस्ती होंगी और घरेलू मांग बढ़ने की उम्मीद है. रिपोर्ट्स के अनुसार कई सामान्य और रोज़मर्रा की लगभग सैकड़ों वस्तुओं की दरों में कटौती की गई है, और 28% तथा 12% के कई आइटमों को कम स्लैब में स्थानांतरित किया गया है. ये बदलाव बाजार की कीमतों और खरीद शक्ति पर तत्काल प्रभाव डाल रहे हैं.
ग्राहकों को क्या करना चाहिए — स्टेप-बाय-स्टेप
1. सामान खरीदते समय हमेशा पक्का बिल (GST बिल) लें — बिल में सामान, मात्रा, दर और जीएसटी का स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए.
2. यदि दुकानदार बिल देने में आनाकानी करे या कहे कि "बिल लेने पर कीमत बढ़ जाएगी", तो बिल लेते समय मोबाइल से फोटो/वीडियो बना लें और वक्त का रिकॉर्ड रखें.
3. तुरंत शिकायत दर्ज करें — टोल-फ्री 1915, या जीएसटी हेल्पडेस्क पर फोन/ई-मेल द्वारा शिकायत भेजें; पक्का बिल और अन्य सबूत (फोटो, वीडियो, दुकान का पता) संलग्न करें. विभाग शिकायत मिलने पर कार्रवाई करता है.
शिकायत कहां करें — अहम हेल्पलाइन / ई-मेल
टोल-फ्री: 1915.
GSTN हेल्पडेस्क (फोन): 0124-4688999, ई-मेल: helpdesk@gst.gov.in.
सीबीईसी मित्र हेल्पडेस्क: 1800-1200-232, ई-मेल: cbecmitra.helpdesk@icegate.gov.in.
(शिकायत भेजते समय बिल की स्कैन/फोटो ज़रूर जोड़ें — यही कार्रवाई की दिशा तय करेगा.)
स्थानीय असर — वाणिज्यिक उत्साह और ग्राहक प्रतिक्रिया
नवरात्र के पहले दिन काशी के बाजारों में खरीददारी का उत्साह बढ़ा दिखा. दुकानदारों और मंदिर-संबंधी सामान खरीदने वालों में उत्साह है क्योंकि पूजा सामग्री, चुनरी, फलाहार जैसी चीज़ों पर असर तेज़ दिख रहा है. स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि सस्ती दरों से खरीददारों की संख्या बढ़ रही है और त्योहार का सीज़न मिलकर कारोबार में तेजी लाएगा. कई लोगों ने इसे ‘बचत महोत्सव’ की तरह मनाया.
अर्थव्यवस्था पर प्रभाव — अनुमान और विशेषज्ञ राय
विभिन्न आर्थिक विश्लेषणों के मुताबिक़, यदि ये कर कटौती और सरलीकरण पूरी तरह से आम उपभोक्ता तक पहुँचता है, तो इससे निकट अवधि में घरेलू मांग बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था को तेज़ी मिलने की संभावना है. कुछ विश्लेषक IDFC First और अन्य स्रोतों के आधार पर अनुमान लगा रहे हैं कि यह कदम लगभग 0.6 प्रतिशत तक जीडीपी वृद्धि में योगदान दे सकता है. हालांकि वास्तविक प्रभाव उस समय साफ़ होगा जब लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंच रहा है या नहीं. साथ ही, सरकार की रेवेन्यू-संरचना पर भी शॉर्ट टर्म दबाव रहने की संभावना जताई जा रही है.
कर संग्रह व पंजीकरण में बढ़ोतरी — क्या संकेत मिलता है ?
जीएसटी लागू होने के बाद टैक्सपेयर बेस और कलेक्शंस दोनों में वृद्धि देखी गई है. हाल के आंकड़ों में जीएसटी के अंतर्गत करदाता संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि और कर संग्रह में इजाफा रिपोर्ट हुआ है — जो संकेत देता है कि कर अनुपालन बढ़ रहा है और व्यापक टैक्स बेस अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक है. (सरकारी आंकड़े और रिपोर्ट्स में रजिस्ट्रेशन और कलेक्शन के रुझान सामने आते रहे हैं.)
विभाग की निगरानी और कार्रवाई — क्या उम्मीद रखें
राज्यकर विभाग और केंद्र की टीमें बाजारों में सतत निगरानी कर रही हैं और अज्ञात रूप से सर्वे और रेंडम चेक कर रही हैं ताकि जो व्यापारी पारदर्शिता नहीं रखें, उनके खिलाफ ठोस कार्रवाई हो सके. विभाग द्वारा ट्रेडर्स को जागरूक करने के लिए कार्यक्रम भी चल रहे हैं. अधिकारियों ने खरीदारों से अपील की है कि वे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहें और बिल की मांग छोड़ें नहीं.
दुकानदारों के लिए क्या मायने रखता है
पारदर्शिता बनाए रखें, बिल में जीएसटी का स्पष्ट उल्लेख रखें.
यदि ग्राहक छूट मांगता है, उसका लाभ सही तरीके से बिल में दिखाएं — इससे भरोसा बनेगा और बिक्री बढ़ेगी.
विभाग की ओर से चल रही जागरूकता और मॉनिटरिंग से छोटे व्यवसायों को भी दीर्घकालिक लाभ मिल सकता है, क्योंकि उपभोक्ताओं की खरीद शक्ति बढ़ेगी.
ग्राहक कैसे सुरक्षित रहें
खरीद के समय बिल लें और indien GST हेल्पडेस्क पर तुरंत शिकायत करें.
बिल का फोटो/स्क्रीनशॉट बचाकर रखें — ये ही सबसे मजबूत सबूत है.
स्थानीय मीडिया और विभागीय सूचनाओं पर नजर रखें — ताकि आप जान सकें कि किन-किन सामानों पर दरें घटाई गई हैं और किस तरह के दावे गलत हो सकते हैं.





