नई दिल्लीः पीएम मोदी ने मंगलवार को कहा कि पहले तेल को काला सोना कहा जाता था, लेकिन अब चिप्स यानी सेमीकंडक्टर हीरे की तरह महत्वपूर्ण है. तेल के बाद अब चिप्स नई ताकत हैं. भारत ने इस संबंध में अपनी दिशा तय कर ली है. भारत का प्रतिद्वंदी चीन इस रेस में पहले से बहुत आगे है. वहां विशाल सेमीकंडक्टर हब्स हैं और अमेरिका व यूरोप तक उसकी सप्लाई पर निर्भर हैं. चाइना को टक्कर देना आसान नहीं है, लेकिन अगर भारत इस मिशन में सफल हुआ तो ये हमारी टेक्नोलॉजी, अर्थव्यवस्था और रणनीतिक ताकत, तीनों को नई ऊँचाई देगा."
पीएम मोदी नई दिल्ली स्थित यशोभूमि कन्वेंशन सेंटर में आज से शुरू सेमीकॉन इंडिया 2025 जो 4 सितंबर तक चलेगा, का उद्घाटन करने के बाद बोल रहे थे. पीएम मोदी 3 सितंबर को यहां होने वाले सीईओ राउंडटेबल में भी शामिल होंगे.
भारत में तीन दिन चलने वाले इस आयोजन में 48 देशों के 2500 प्रतिनिधि, 20 हज़ार से ज़्यादा प्रतिभागी और 350 से अधिक कंपनियां हिस्सा ले रही हैं। सवाल ये है कि भारत के लिए ये सम्मेलन इतना अहम क्यों है ? तो बता दें कि "सेमीकॉन इंडिया की शुरुआत 2022 में बंगलुरू से हुई थी। 2023 में ये गांधीनगर पहुंचा, 2024 में ग्रेटर नोएडा और अब 2025 में दिल्ली में आयोजित हुआ है. हर साल इसका पैमाना बड़ा हो रहा है.
इस बार, 150 से ज्यादा वक्ता और 50 वैश्विक उद्योग नेता इसमें शामिल हैं. इस बार मुख्य फोकस है – सेमीकंडक्टर फैब, एडवांस पैकेजिंग, स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रिसर्च एंड डेवलपमेंट." इसके पूर्व उद्घाटन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने जानकारी दी कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच अप्रैल से जून तक भारतीय अर्थव्यवस्था ने 7.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की, जो उम्मीदों से कहीं बेहतर है.
इसका जवाब देने से पहले आपसे एक सवाल "क्या आपने कभी सोचा है कि मोबाइल फोन, लैपटॉप, कार, यहां तक की पंखे और वॉशिंग मशीन तक, ये सब चलते कैसे हैं ?
ये छोटे-छोटे इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स किसी भी डिवाइस का 'ब्रेन' यानी दिमाग होते हैं. बिना चिप्स के मोबाइल फोन सिर्फ एक डिब्बा है और कार सिर्फ एक ढांचा." "भारत अब तक चिप्स आयात करता रहा है. इससे न सिर्फ अरबों डॉलर बाहर जाते हैं, बल्कि टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भरता भी मुश्किल हो जाती है. इसीलिए सरकार ने 2021 में सेमीकॉन इंडिया मिशन लॉन्च किया. इसमें वेदांता-फॉक्सकॉन, ISMC और माइक्रॉन जैसी कंपनियां भारत में निवेश कर रही हैं। इतना ही नहीं गुजरात, तमिलनाडु और कर्नाटक में सेमीकॉन पार्क बनाने की तैयारी चल रही है"
आपको बता दें कि हाल ही में चीन के पेकिंग यूनिवर्सिटी और सिटी यूनिवर्सिटी ऑफ हांगकांग के वैज्ञानिकों ने एक बेहद खास और दुनिया की पहली 6G चिप बनाई है. सबसे बड़ी बात यह है कि इस छोटे-से चिप में 0.5 गीगाहर्ट्ज से लेकर 115 गीगाहर्ट्ज तक की फ्रीक्वेंसी फिट कर दी गई है. जहां पहले इसके लिए कई अलग-अलग चिप्स लगती थीं, अब सिर्फ एक ही चिप से ये सब काम हो जाएगा.
आपको जानकर हैरानी होगी कि इस चिप का साइज सिर्फ नाखून जितना है. यानी बेहद छोटा, लेकिन बेहद ताकतवर. ये चिप अलग-अलग फ्रीक्वेंसी पर आसानी से स्विच कर सकती है, और यही इसे 6G नेटवर्क के लिए परफेक्ट बनाती है. वैज्ञानिकों का दावा है कि इस चिप के आने से भीड़भाड़ वाली जगहों जैसे—कंसर्ट, स्पोर्ट्स इवेंट या बड़े कार्यक्रमों में भी सुपरफास्ट इंटरनेट चलाना आसान हो जाएगा.