
वाराणसी : चौबेपुर में पिछले दिनों गंगा तट से मिली लगभग 1200 वर्ष पुरानी एकमुखी शिवलिंग मूर्ति को हर-हर महादेव की गूंज के बीच एनएचएमसी के डायरेक्टर जनरल प्रोफेसर वसंत शिंदे को औपचारिक रूप से शिनवार को सौंप दिया गया. कालिका प्रसाद जायसवाल, राकेश उपाध्याय, सुकृत उपाध्याय, गौरी शंकर यादव, करिया राम, अजित कुमार तिवारी, ओम प्रकाश चौबे, ललित प्रकाश चौबे और राजकुमार कन्नौजिया ने प्रोफ़ेसर वसंत शिंदे के हाथों में चौबेपुर में मिली ऐतिहासिक अमानत भावुक किंतु पूरे गर्व के साथ सौंपी.

लोग इस धरती के इतिहास और गौरव को समझ सकेंः प्रोफेसर वसंत शिंदे
इस मौके पर प्रोफेसर शिंदे ने जानकारी दी कि सभी संबंधित पक्षों की सहमति से यह तय किया गया है कि इस ऐतिहासिक मूर्ति को गुजरात के लोथल म्यूजियम में रखा जाएगा ताकि शोधकर्ता, विद्यार्थी और वहां आने वाले आम दर्शक इसे देखकर इस धरती के इतिहास और उसके गौरव को समझ सकें. यह धरोहर अब न केवल सुरक्षित होगी बल्कि चौबेपुर की पहचान को भी देश दुनिया में पहुंचाएगी. आज की पहल सिर्फ एक मूर्ति के संरक्षण तक सीमित नहीं है.

मूर्ति की कलात्मक विशेषताएं दर्शाती हैं प्रतिहार कालीन शैली की उत्कृष्टता
प्रोफेसर वसंत शिंदे ने कहा कि इस मूर्ति की कलात्मक विशेषताएं प्रतिहार कालीन शैली की उत्कृष्टता को दर्शाती हैं और इसमें स्थानीय कारीगरों की निपुणता साफ दिखाई देती है. चौबेपुर के लोगों ने इस प्रतिमा को जिस सम्मान और जिम्मेदारी के साथ संभाला, वही किसी भी पुरातात्विक खोज की वास्तविक शक्ति होती है. उनके अनुसार यह कार्यक्रम केवल एक धरोहर के संरक्षण का अवसर नहीं, बल्कि ज्ञान और सांस्कृतिक चेतना की नई शुरुआत है. जानकारी दी कि "लोथल म्यूजियम में हम समुद्री व्यापार से जुड़ी जानकारियाँ लोगों तक पहुँचा रहे हैं और व्यापार के कारण ही हमें यह प्रमाण मिलता है कि हमारी संस्कृति विदेशों तक कैसे पहुँची.
चौबेपुर का इलाका इस मूर्ति की ही तरह दुर्लभ

उन्होंने चौबेपुरवासियों को धन्यवाद देते हुए कहा, "चौबेपुर के लोग इस धरोहर के वास्तविक संरक्षक हैं. आज स्थानीय निवासियों ने जिस तरह गर्व और आत्मीयता के साथ अपने इलाके की इस खोज को एनएचएमसी को सौंपा, वह सच कहें तो इस मूर्ति की ही तरह दुर्लभ है. यहां मिली मूर्ति भारतीय सभ्यता की निरंतरता का मजबूत संकेत देती है. यह स्पष्ट करता है कि इस क्षेत्र में सामाजिक और धार्मिक परंपराएं ही नहीं थीं, बल्कि व्यापार, कला और सांस्कृतिक मेलजोल भी खूब फलता फूलता रहा। ऐसी खोजें यह समझने में मदद करती हैं कि हमारी पुरानी बसाहटें कितनी विकसित और परिपक्व हुआ करती थीं. समारोह में भारतीय जनसंचार संस्थान के हिंदी पत्रकारिता विभाग के डायरेक्टर प्रोफेसर राकेश उपाध्याय ने कहा चौबेपुर का यह इलाका सिर्फ पुरातात्विक खोजों के कारण ही अहम नहीं है, बल्कि इसी क्षेत्र में स्थित मार्कण्डेय महादेव जी का स्थान आयुर्वेद में बाल चिकित्सा का एक प्रमुख केंद्र भी रहा है.
इनरी रही विशेष उपस्थिति

इस मौके पर रिटायर्ड डीआरएम ओम प्रकाश चौबे , शिक्षिका श्रीमती मधु चतुर्वेदी, सृजन चतुर्वेदी शिवम् , जीन विज्ञानी प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे, कृषि वैज्ञानिक अखिलेश चौबे, शिक्षक अतुल चतुर्वेदी, विनोद चतुर्वेदी, अपूर्व कुमार तिवारी, मनीष सिंह (प्रधान), मोहन चौबे, दिलीप सेठ, संतोष कन्नौजिया, दुष्यंत सिंह, गौरी शंकर यादव, वकील यादव, मनोज जी, जयप्रकाश सिंह, पूर्व प्रधान सौरभ तिवारी, करिया राम, सुनील जी, महेश जी, शारदा चतुर्वेदी, रमेश तिवारी, अजय गुप्ता ‘अकेला’, कालिका प्रसाद जायसवाल, दिलीप चौबे, अवधेश दुबे, रमेश उपाध्याय, रुद्र नारायण चौबे, रामप्रकाश पाण्डेय, ओंकार चौबे, पवन सिंह एवं अजय जी विशेष रूप से सम्मिलित रहे.




