गौरतलब है कि, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के नेताओं से बात की थी, इस दौरान उन्होंने दोनों देशों को चेतावनी देते हुए कहा कि, अगर वे तनाव नहीं कम करते है तो अमेरिका उन पर भारी-भरकम व्यापारिक टैक्स (टैरिफ) लागू करेगा. ट्रंप ने ये भी कहा कि उन्होंने पाकिस्तान को साफ शब्दों में चेतावनी दी कि अगर हालात नहीं सुधरे, तो अमेरिका उसके साथ कोई भी व्यापार नहीं करेगा.
यहां तक उन्होंने कहा – "अगर तुम लोग परमाणु जंग की तरफ गए, तो हम इतना बड़ा टैक्स लगाएंगे कि तुम चौंक जाओगे". ट्रंप का दावा है कि उनकी इन्हीं सख्त चेतावनियों की वजह से भारत और पाकिस्तान के बीच छिड़े युद्ध जैसे हालातों में सुधार देखने को मिल सका. अब युद्ध की कोई संभावना नहीं है, अगर भविष्य में फिर से तनाव बढ़ा, तो वे फिर से दखल देंगे.
हद तो तब पार हो गई जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात कर पूछा कि पाकिस्तान के साथ क्या समस्या है. ट्रंप ने कहा कि यह विवाद "सदियों पुराना" है. ट्रंप का यह दावा सच्चाई से काफी दूर लगता है. ट्रंप को यह समझना चाहिए कि यह विवाद 1947 के बंटवारे के बाद शुरू हुआ, न कि "सदियों" पहले.
आपको बता दें कि ट्रंप का ये बयान उनके उस दावे का हिस्सा माना जा रहा है जिसमें उन्होंने अपनी कूटनीति को भारत-पाकिस्तान जैसे जटिल मसलों को सुलझाने का एक बड़ा जरिया बताया हैं. लेकिन उनके इस ढकोसले भरे दावे पर अभी तक दोनों देशों की ओर से कोई भी आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है, जिससे ये तो जाहिर होता है कि डोनाल्ड ट्रंप क्रेडिट लेने की खातिर अपनी और अपने राष्ट्रपति पद की भी धज्जियां उड़वाने में कोई कसर बाकी नहीं रखने वाले हैं.
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सीजफायर का क्रेडिट लेने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति इतने नीचे गिर जाएंगे ये किसी ने भी सोचा नहीं था, कि एक दिन अपने ही बडबोले बयानों से एक दिन अपनी ही फजियत करा बैठेंगे.