वाराणसी: जिले के दिव्यांगजनों को सशक्त बनाने और उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने के लिए प्रशासन ने बड़ा कदम उठाया है. अब जनपद के प्रत्येक दिव्यांग को न सिर्फ सहायक उपकरण (जैसे व्हीलचेयर, बैसाखी, श्रवण यंत्र आदि) उपलब्ध कराए जाएंगे, बल्कि उन्हें पेंशन, शिक्षा और रोजगार जैसी सुविधाओं से भी जोड़ा जाएगा. इसके लिए प्रशासन ने गांव-गांव जाकर व्यापक सर्वे शुरू किया है.
यह जानकारी मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) हिमांशु नागपाल ने दी. उन्होंने बताया कि सर्वे में जुटाए गए आंकड़ों को ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा. इससे सभी दिव्यांगों का सही चिह्नांकन हो सकेगा और उन्हें योजनाओं से लाभ दिलाने की प्रक्रिया पारदर्शी और सरल होगी.
क्यों जरूरी है यह सर्वे ?
सीडीओ ने स्पष्ट किया कि सरकार दिव्यांगों के कल्याण के लिए कई योजनाएं चला रही है, लेकिन सही आंकड़े न होने की वजह से सभी पात्र लाभार्थियों तक योजनाओं का लाभ नहीं पहुंच पाता. यही कारण है कि अब एक व्यवस्थित सर्वे कराया जा रहा है, ताकि वास्तविक स्थिति सामने आए और कोई भी दिव्यांग वंचित न रह जाए.
आशा कार्यकत्रियों को मिली जिम्मेदारी
इस कार्य के लिए आशा कार्यकत्रियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है. उन्हें एक विशेष फॉर्मेट दिया गया है, जिसमें गांव के दिव्यांगों की सारी जानकारी दर्ज की जा रही है. इसके बाद सारी सूचनाएं विभाग द्वारा तैयार पोर्टल पर अपलोड होंगी.
गांव-गांव और मोहल्लों में लगेंगे शिविर
सर्वे के बाद, प्रत्येक दिव्यांग की आवश्यकताओं के हिसाब से गांव-गांव और मोहल्ले-मोहल्ले में कैम्प आयोजित किए जाएंगे. इन शिविरों में उन्हें योजनाओं से जोड़ा जाएगा और जिन उपकरणों या सुविधाओं की आवश्यकता होगी, उन्हें मौके पर उपलब्ध कराया जाएगा.
राज्यपाल और मुख्यमंत्री का विशेष फोकस
सीडीओ ने बताया कि राज्यपाल और मुख्यमंत्री लगातार दिव्यांगों को आत्मनिर्भर बनाने और उनकी जिंदगी को आसान करने पर जोर देते रहे हैं. यही वजह है कि अब योजनाओं के लाभार्थियों की सही पहचान करने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है.