
Chhath Puja: छठ महापर्व आज शनिवार से शुरू हो चुका है. इस महापर्व में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा करने का विधि-विधान है. आस्था, एहसास, समर्पण का संगम महापर्व छठ अपनी पावन बेला के साथ आज से नहाय-खाय के साथ शुरू हो चुका है. यह पर्व केवल पूजा नहीं, बल्कि सूर्य देव और प्रकृति के प्रति लोगों का सबसे पवित्र प्रण है. आत्मा की निर्मलता और कृतज्ञता से भरे छठ उत्सव को बड़े ही श्रद्धा-भाव के साथ मनाया जाता है. छठ पर्व के आते ही छठ माई के गीत घर-घर में सुनने को मिलते हैं. छठी माई के गीत इस त्योहार को और भी भक्तिमय बना देते हैं.

चार दिनों तक चलने वाले इस महापर्व में सूर्य देव की बहन छठी मैया की श्रद्धा-सुमन के साथ पूजा-अर्चना की जाती है. छठ का व्रत महिलाएं संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए रखती हैं, ऐसी मान्यता है कि, जिस महिला की संतान नहीं होती उसे जल्द ही छठी माई की कृपा से संतान की प्राप्ति होती है. क्योंकि, छठी मैया को संतान, समृद्धि और परिवार की रक्षा करने वाली देवी माना जाता है, छठ माई के लिए 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा जाता है, जिसे महिला और पुरूष दोनों ही रखते हैं.

नहाए-खाए की जाने रस्मे
नहाए-खाए के साथ शुरू हुए छठ महापर्व के पहले दिन की कई रस्मे निभाई जाती है, जिसमें व्रती अपने शरीर और मन को शुद्ध करने के लिए इन नियमों का पालन करते हैं. छठ का व्रत रखने वाले सभी व्रतियां सुबह उठक गंगा नदी में स्नान करते हैं. साथ ही पवित्रता का काफी ध्यान भी रखा जाता है. माना जाता है कि छठी मैया स्वच्छता और पवित्रता की प्रतीक हैं. इस दिन व्रती एक बार ही भोजन करते हैं, जिसे “नहाय-खाय का प्रसाद” कहा जाता है. खाना कांसे या पीतल के बर्तन में और मिट्टी के चूल्हे पर बनाया जाता है. खाना बनाने में आम की लकड़ी या गोबर के उपले का उपयोग किया जाता है क्योंकि इन्हें सात्विक और शुद्ध माना गया है. भोजन में आमतौर पर कद्दू की सब्जी, चने की दाल और सादा चावल बनाया जाता है. नहाय-खाय के दिन ही व्रती छठ व्रत का संकल्प लेते हुए आने वाले तीन दिनों तक शुद्धता, संयम और भक्ति का पालन करते हैं.

जाने क्यों होती है छठी मैया-सूर्यदेव की पूजा

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, छठी मैय्या को सूर्यदेव की बहन माना गया है. इसी के चलते छठ के इस पर्व पर छठी मैया और सूर्यदेव दोनों की पूजा की जाती है. ऐसी कहावत है कि, जब भी किसी नवजात बच्चे का जन्म होता है तो उसके बाद 6 महीने तक छठी मैय्या उनके पास रहती हैं और बच्चों की रक्षा करती हैं. इसलिए छठी माई को बच्चों की रक्षक देवी कहा गया है. इन्हीं मान्यताओं के चलते महिलाएं अपनी संतान के सुख-समृद्धि के लिए छठी माई का निर्जला उपवास रखती हैं.




