
वाराणसी:बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में लंबे समय से रुकी कार्यकारिणी परिषद (Executive Council-EC) की बैठक आखिरकार तय हो गई है.9 अक्टूबर को होने वाली यह बैठक करीब साढ़े तीन साल बाद आयोजित होगी. इस बैठक में टीचिंग और नॉन-टीचिंग पदों पर लंबित नियुक्तियों पर फैसला होने की संभावना है. यही कारण है कि परिसर में शिक्षकों से लेकर कर्मचारियों तक, हर कोई इस बैठक पर टकटकी लगाए बैठा है.
इससे पहले 27 सितंबर को अकादमिक परिषद की बैठक होगी, जो बीएचयू के नए कुलपति प्रो. अजित कुमार चतुर्वेदी के कार्यकाल की पहली बड़ी बैठक मानी जा रही है. त्योहारों के कारण कार्यकारिणी की बैठक पहले टाल दी गई थी, लेकिन अब इसकी तिथि तय हो जाने से कैंपस में चर्चाएं तेज हो गई हैं.
क्यों अहम है यह बैठक?
बीएचयू में कार्यकारिणी परिषद की बैठक अंतिम बार पूर्व कुलपति प्रो. राकेश भटनागर के कार्यकाल में हुई थी. उनके बाद आए कुलपति प्रो. सुधीर जैन का पूरा कार्यकाल बिना किसी ईसी बैठक के ही बीत गया. इससे तमाम शैक्षणिक और प्रशासनिक निर्णय अटक गए. अब उम्मीद है कि 9 अक्टूबर को होने वाली बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णयों पर मुहर लगेगी.
सबसे अहम मसला है टीचिंग और नॉन-टीचिंग पदों पर नियुक्तियां. पिछले कुलपति के कार्यकाल में प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर समेत कई पदों की चयन प्रक्रिया पूरी की गई थी, लेकिन ईसी की मंजूरी न मिलने के कारण नियुक्तियां अटकी रह गईं. परिषद से स्वीकृति मिलने पर अब इन नियुक्तियों का रास्ता साफ हो सकता है.
विवादित मुद्दे भी आएंगे सामने
सूत्रों के अनुसार, बैठक में केवल नियुक्तियों पर ही नहीं, बल्कि कुछ विवादित मामलों पर भी चर्चा होगी. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक निलंबित प्रोफेसर के प्रकरण को ईसी के सामने रखने का निर्देश दिया है. ऐसे मामलों पर फैसला बैठक को और भी संवेदनशील बना देगा.
परिषद की संरचना और राजनीतिक गहमागहमी
कार्यकारिणी परिषद में इस बार भाजपा से जुड़े कई बड़े नाम शामिल हैं. इसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री और चंदौली से सांसद रह चुके डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय, वाराणसी के महापौर अशोक तिवारी, भाजपा क्षेत्रीय अध्यक्ष दिलीप पटेल जैसे नाम प्रमुख हैं. इसके अलावा दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह, बीएचयू समाजशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो. ओमप्रकाश भारतीय, समाजशास्त्र विभाग की प्रो. श्वेता प्रसाद, प्राणिशास्त्र विभाग से सेवानिवृत्त प्रो. बेचन लाल (पूर्व कुलपति, जम्मू क्लस्टर विश्वविद्यालय) और रेडियोथेरेपी विभाग से सेवानिवृत्त प्रो. उदय प्रताप शाही सदस्य हैं.
कुलपति परिषद के अध्यक्ष और कुलसचिव इसके सदस्य सचिव होते हैं. भाजपा नेताओं की मौजूदगी को लेकर राजनीतिक हलकों में भी हलचल है. विपक्षी दल इसे शिक्षा में राजनीति का दखल बता रहे हैं, जबकि विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि फैसले पूरी तरह शैक्षणिक हित में होंगे.
शिक्षकों-कर्मचारियों में उम्मीदें
बीएचयू के शिक्षकों और कर्मचारियों का मानना है कि इस बैठक के जरिए लंबे समय से लंबित फैसलों पर अमल हो सकेगा. खासकर नियुक्तियों को लेकर वर्षों से इंतजार कर रहे अभ्यर्थियों और विभागों में उम्मीद की लहर है. साथ ही अकादमिक परिषद और कार्यकारिणी परिषद की लगातार बैठकों से नए कुलपति प्रो. चतुर्वेदी के कार्यकाल में प्रशासनिक सक्रियता का संदेश भी जा रहा है.-
कुल मिलाकर, 9 अक्टूबर को होने वाली ईसी बैठक सिर्फ एक औपचारिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि बीएचयू के आने वाले वर्षों की दिशा तय करने वाला अहम पड़ाव मानी जा रही है.





