
वाराणसी: प्रतिबंधित कफ सिरप की जांच का दायरा बढाते हुए वाराणसी के पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने विशेष जांच टीम का गठन किया है. नशे के उपयोग के लिए 84 लाख प्रतिबंधित कफ सिरप खपाए जाने के हैरतअंगेज खुलासे के बाद आरोपितों की तलाश तेज कर दी गई है. 100 करोड़ रुपये के इस अवैध ड्रग कारोबार की जांच करने के लिए सीपी ने तीन सदस्यीय एसआईटी का गठन कर दिया है.
एसआईटी अपर पुलिस उपायुक्त सरवणन टी के नेतृत्व में बनाई गई है. इसमें एसीपी शुभम कुमार सिंह और कोतवाल दयाशंकर सिंह सदस्य के तौर पर शामिल हैं. मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच पर कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की गई है, ताकि हर पहलू को गहराई से उजागर किया जा सके.
कैसे फूटा 100 करोड़ का ड्रग रैकेट?

कायस्थ टोला, प्रहलाद घाट निवासी आरोपित शुभम जायसवाल और उसके पिता भोला प्रसाद रांची में मेसर्स शैली ट्रेडर्स नाम से बड़ी दवा फर्म चलाते हैं. औषधि विभाग की रिपोर्ट अनुसार, इस फर्म ने ऐबट हेल्थकेयर से करीब 89 लाख बॉटल कोडिन युक्त कफ सिरप खरीदी. इसमें से 84 लाख बॉटल सिर्फ वाराणसी में खपाई गईं, जो बेहद संदिग्ध है. जांच में पाया गया कि कफ सीरप का उपयोग ज्यादातर नशे के तौर पर किया गया.
इस निष्कर्ष तक पहुंचने के बाद औषधि निरीक्षक जुनाब अली ने दवा के 28 करोबारियों के खिलाफ कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज कराया. एफआइआर में सप्तसागर मंडी समेत वाराणसी के विभिन्न हिस्से के दवा कारोबारियों के नाम होने से हड़कंप की स्थिति रही. आरोपित शुभम ने पैसे के बल पर अपना अच्छा खासा भौकाल भी बना लिया है.
गाजियाबाद पुलिस ने भी बनाया आरोपित
औषधि विभाग ही नहीं, बल्कि गाजियाबाद पुलिस ने भी आरोपित शुभम जायसवाल को कफ सिरप तस्करी में शामिल पाया है. इससे यह संकेत मिलता है कि यह नेटवर्क कई राज्यों और यहां तक की देश से बाहर भी फैल चुका है. औषधि विभाग ने इस जांच में कुल 102 दवा दुकानों को रडार पर रखा है. विभाग अब इन सभी दुकानों की खरीद-बिक्री, लाइसेंस और स्टॉक का पूरा ऑडिट कर रहा है. ऐसे में तस्करी के अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन को भी खंगाला जा रहा है, ताकि इस पर करारा प्रहार किया जा सके.




