वाराणसी - प्रतिबंधित कोडिन युक्त कफ सिरप का जिन्न बाहर निकल चुका हे. इसको लेकर तमाम खुलासे हो रहे हैं. इस मामले के मुख्य आरोपित शुभम जायसवाल के पार्टनर अमित सिंह टाटा की गिरफ्तारी के साथ उसके काले कारनामे के चिट्ठे भी खुलने लगे हैं. सूत्रों के अनुसार शुभम जासवाल को पूर्वांचल के एक बाहुबली की सरपरस्ती दिलाने में अमित टाटा और एक बर्खास्त सिपाही की खास भूमिका रही. इसी सरपरस्ती में कफ सिरप की तस्करी में शुभम ने अपना दबदबा बना लिया. अमित सिंह टाटा को वह अपनी सुरक्षा कवच के तौर पर पार्टनर बनाया था. बनारस कचहरी में वकालत का पेशा अपनाने वाले अमित का नाम एक अधिवक्ता की संदिग्ध परिस्थिति में हुई मौत के मामले भी सामने आया लेकिन ठोस सबूत नहीं मिलने के कारण प्रकरण दब गया. महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ छात्र संघ चुनाव से सक्रिय अमित सिंह टाटा का नाम पूर्व में मुन्ना बजरंगी गिरोह से भी जुड़ा था.
पिछले दो साल से वह शुभम जायसवाल के संपर्क में आकर कफ सिरप तस्करी के नेटवर्क को संभाल रहा था. जौनपुर के पूर्व सांसद के भरोसेमंद बन चुके अमित सिंह टाटा को जौनपुर के रामपुर ब्लाॅक से ब्लाॅक प्रमुख बनाने की दिशा में पूर्व सांसद की टीम काम कर रही थी. इसके लिए आर्थिक तंत्र मजबूत करने की जिम्मेदारी शुभम ने अपने कंधे पर ले रखी थी.
गिरफ्तारी से पहले महाकाल के दर्शन को गए थे आरोपी
पूर्व सांसद के साथ रहने वाले बर्खास्त सिपाही और अमित सिंह टाटा समेत चार लोग एसटीएफ की गिरफ्तारी से पहले उज्जैन महाकाल के दर्शन को गए थे. दर्शन के बाद एसटीएफ ने बर्खास्त सिपाही और अमित सिंह टाटा को हिरासत में लिया. पूर्व सांसद के प्रभाव में बर्खास्त सिपाही को छोड़ दिया गया लेकिन अमित सिंह टाटा के खिलाफ पर्याप्त पुख्ता साक्ष्य होने के कारण पूर्व सांसद ने अपने कदम पीछे खींच लिए. ये भ्ी बताया जारहा है कि दबाव में बर्खास्त सिपाही को बाद में छोड दिया गया.

डेढ़ साल के अंदर तीन गाड़ियों के काफिले संग चल रहा था अमित सिंह टाटा
अमित सिंह टाटा पिछले डेढ़ साल के अंदर फार्च्यूनर, स्कॉर्पियो जैसी तीन गाड़ियों के काफिले संग चल रहा था. जीवन शैली अचानक से बदल गई. कहा जा रहा था कि यह गाड़ियां शुभम ने ही टाटा को गिफ्ट की थी. दबंग छवि वाले अमित सिंह टाटा को साथ रखने की असल वजह शुभम की यह रही कि शहर के अन्य दबंग लोग उससे रंगदारी न वसूल सकें. शुभम को एक तरह से टाटा ने कवच के रूप में रखा था. शुभम से टकराने से पहले टाटा से टकराने जैसे बयान शहर की फिजाओं में तैर रहे थे. टाटा को और मजबूत करने के उद्देश्य से शुभम ने रामपुर ब्लाॅक प्रमुख की दावेदारी के लिए टाटा को आगे किया हुआ था.
सिकरौल की वरुणा विहार कालोनी निवासी अमित सिंह टाटा ने कथित रूप से वाराणसी में अपने पिता के नाम पर फर्म पंजीकृत कराई थी इसी फर्म के जरिए कफ सीरप की तस्करी होती थी.अब इस फर्म को लेकर ड्रग विभाग ने चुप्पी साध ली है. पुलिस की एसआइटी ने जांच की बात कही है. इस फर्म पर कोतवाली थाने में केस भी दर्ज है.
वाराणसी में दर्ज फर्म का नाम अन्विन्या मेडिकल एजेंसी है जो अमित के पिता अशोक कुमार सिंह के नाम पर पंजीकृत बताई जा रही है. उधर, जांच के क्रम में 28 फर्मों का लाइसेंस निरस्त कर दिया गया है जबकि 12 अन्य फर्मों के लाइसेंस निरस्त करने की तैयारी है.

कफ सिरप मामले में पूर्व सांसद की भूमिका की जांच की मांग
आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर ने आज यूपी के डीजीपी को पत्र भेजकर कुचर्चित कफ सिरप मामले में जौनपुर से पूर्व सांसद धनंजय सिंह की भूमिका की जांच की मांग की है. अपने पत्र में उन्होंने कहा है कि उन्होंने कुछ दिन पूर्व इस मामले में शुभम जायसवाल के पीछे जौनपुर के अमित सिंह टाटा का हाथ होने की बात कही थी. कल एसटीएफ द्वारा अमित सिंह टाटा को गिरफ्तार कर इसे 100 करोड रुपए से अधिक का मामला होने के साथ शुभम जायसवाल, गौरव जायसवाल और वरुण सिंह के दुबई भाग जाने की बात स्वीकार की गई है.
अमिताभ ठाकुर ने कहा कि इस मामले में अमित सिंह टाटा के पीछे जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह की भूमिका लगातार सामने आ रही है, जो उनकी इस मामले में नामित अभियुक्तों के साथ सामान्य से कहीं अधिक निकटता के कारण प्राथमिक रूप से स्पष्ट दिख रही है. अतः उन्होंने इस मामले में धनंजय सिंह की भूमिका की जांच की मांग की है.




