
वाराणसी: काशी की सांस्कृतिक विरासत और ज्ञान परंपरा के आलोक में काशी शब्दोत्सव-2025 का आयोजन 16 से 18 नवंबर तक हो रहा है. इस बार का आयोजन "विश्व कल्याण : भारतीय संस्कृति" को समर्पित है. भारतीय कला, संस्कृति और साहित्य की थाती को संजोने व जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से वर्ष 2023 में काशी शब्दोत्सव की शुरुआत हुई थी. काशी शब्दोत्सव न सिर्फ कुछ दिनों तक चलने वाला अकादमिक या सांस्कृतिक समारोह है, बल्कि यह भारतीय मनीषा की देदीप्यमान आभा का ज्योति पुंज है. भारतीयता की भावना को समर्पित यह प्रकल्प भारतीय मन की सृजनात्मक धारा का भावबोध है. ये बातें काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए सदस्य शिक्षा सेवा चयन आयोग और कार्यक्रम के संयोजक डॉ हरेंद्र राय ने कही.
आयोजन की रूपरेखा
बीएचयू के संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो सदाशिव द्विवेदी ने बताया कि यह आयोजन विश्वविद्यालय के स्वतंत्रता भवन सभागार में विश्व संवाद केन्द्र काशी एवं संस्कृत विभाग के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है, जिसके लिए तैयारी पूरी कर ली गई है. उन्होंने बताया कि आयोजन को लेकर काशी शब्दोत्सव के संरक्षक मनोज कांत ने लगातार कई दिनों तक शहर प्रवास के दौरान काशी के प्रबुद्धजनों, शहर के सभी विश्वविद्यालयों के प्रमुख शिक्षक, विद्यार्थी व आयोजन की विभिन्न समितिर्यो से जुड़े सदस्यों के साथ बातचीत एवं बैठकें की. बैठक में आयोजन संबंधी विभिन्न दायित्वों के निर्धारण एवं संगोष्ठी के विभिन्न सत्रों के मुख्य विषयों की सत्र के अनुरूप वर्तमान स्वरूप व तैयारी से संबंधित चुनौतियों को लेकर वृहद चर्चा हुई. सामूहिक बैठक के अलावा सभी सत्रों और व्यवस्था से जुड़े प्रमुखों की अलग अलग बैठक की गई जिससे कहीं कोई कमी न रह जाए। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता माननीय कुलपति प्रो. अजित कुमार चतुर्वेदी और मुख्य वक्ता अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आम्बेकर होंगे.

"विश्व कल्याण: भारतीय संस्कृति" विषय पर केंद्रित
काशी शब्दोत्सव के संयोजक डॉ हरेंद्र राय ने 16 से 18 नवम्बर तक चलने वाले तीन दिवसीय काशी शब्दोत्सव के परिचय के क्रम में कहा कि काशी शब्दोत्सव राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय एवं स्थानीय विषर्यों को केंद्र में रखकर समाज जीवन केप्रत्येक क्षेत्र में व्याप्त विभिन्न विषयों पर प्रमुखता से संवाद स्थापित करता है. इसी क्रम में इस वर्ष का काशी शब्दोत्सव 2025 "विश्व कल्याण: भारतीय संस्कृति" विषय पर केंद्रित है.
इसके अंतर्गत भारतीय ज्ञान परंपरा, कौटुंबिक अवधारणा, सामाजिक समरसता, समाज प्रबंधन, लोकतांत्रिक शुचिता, भारतीय साहित्य, पर्यावरण, न्याय बोध, भारतीय चिकित्सा पद्धति, पौराणिक एवं वैदिक संदर्भ, शिक्षा की भारतीय अवधारणा और उसका क्रियान्वयन, ललित कला एवं लोक आदि विषयों को वैश्विक परिप्रेक्ष्य में रखकर कुल 10 सत्रों में तीन दिनों तक विमर्श होंगे. इस संवाद गोष्ठी में अपनी-अपनी विधा के निष्णात विद्वान देश-विदेश से शामिल होंगे.
राष्ट्रीय पुस्तक प्रदर्शनी, सांस्कृतिक कार्यक्रम भी
उन्होंने आयोजन के कुछ महत्त्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इस उत्सव का एक बड़ा आकर्षण तीन दिनों तक चलने वाली विभिन्न प्रकाशकों द्वारा लगाई गई राष्ट्रीय पुस्तक प्रदर्शनी भी होगी, जो राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, नई दिल्ली के सहयोग से लगाई जाएगी. साथ ही प्रत्येक दिन सायं लोक एवं शास्त्रीयता को समर्पित संगीत नाटक अकादमी, उत्तर-मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, ललित कला अकादमी, प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्थाओं के आयोजनों के साथ-साथ बहु प्रतिष्ठित नाट्य मंचन राम की शक्तिपूजा, सत्यवादी हरिश्चन्द्र, समेत लोक गायन व मानस प्रसंग से जुड़े विविध सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाएगा. आयोजन में देश-विदेश के विद्वान, आचार्य, विद्यार्थी व प्रबुद्ध नागरिकों की प्रमुख सहभागिता होगी.




