
US H-1B Visa: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा बीते दिनों टैरिफ से लेकर कई बड़े फैसले लिए गये. जिनमें से सबसे चर्चा में H-1B वीजा रहा. इसके आवेदनों पर 1,00,000 डॉलर का वार्षिक शुल्क लगाने का फैसला किया गया है. US चैंबर ऑफ कॉमर्स ने ट्रंप के इस फैसले को कोर्ट में चुनौती देने की योजना बनाई है. इस पर डोनाल्ड ट्रंप ने एक बड़ा दावा कर कहा कि, यूएस के इस कदम से अमेरिका की आर्थिक स्थिति पहले से और भी बेहतर होगी. लेकिन, अब ट्रंप के इस फैसले का असर साफ तौर पर देखने को मिल रहा है, जहां कई कंपनियों ने अब अपने कर्मचारियों को H-1B वीजा देना तक बंद कर दिया है, जिसके चलते लोगों पर इसका असर भी पड़ने लगा है.

यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस फैसले के खिलाफ एक बड़ा एक्शन लेते हुए मुकदमा दायर किया है. चैंबर का मानना है कि ट्रंप के इस कदम से अमेरिकी व्यवसायों को हद से ज्यादा नुकसान होने की संभावना है, पूरी तरीके से शुल्क गैरकानूनी है. इसलिए चैंबर ऑफ कॉमर्स ने इसके खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की है, ताकि राष्ट्रपति ट्रंप दोबारा से इस तरह का कोई भी फैसला लेने से पहले दस बार इस कार्रवाई के बारे में जरूर सोचेंगे.

दरअसल, बीते गुरुवार को वाशिंगटन डी.सी. में दायर की गई एक संघीय मामले में चैंबर ने कोर्ट से अनुरोध कर कहा कि, वह घोषित करे कि डोनाल्ड ट्रंप ने यह शुल्क लगाकर कार्यपालिका के अधिकार का उल्लंघन किया है और संघीय सरकारी एजेंसियों को इसे लागू करने से भी रोका है. हालांकि, H-1B वीजा अमेरिका में उच्च-कुशल नौकरियों के लिए उपलब्ध है, जिन्हें तकनीकी कंपनियों के लिए इसे भरना काफी मुश्किल होता है. बड़ी बात तो यह है कि अमेरिका में भारतीय नागरिकों को कमाई करने के लिए इस वीज़ा का उपयोग करना काफी जरूरी है, जिसके जरिए उनकी नौकरी चल सकती है.

जानकारी के मुताबिक, अमेरिका में जॉब के लिए H-1B वीजा काफी पॉपुलर है, जिसकी चाह सबसे ज्यादा भारतीय वर्कर्स को होती हैं. क्योंकि अधिक इंकम के चलते भारतीय नागरिक अमेरिका में कमाना चाहते हैं. अगर इस वीजा के खिलाफ कोर्ट से राहत मिलती है, तो अमेरिका में नौकरी करने की चाह रखने वालों को बड़ी राहत मिलेगी. दूसरी बात ये कि, H-1B वीज़ा पर रोक लगाने के बाद भी भारतीय नागरिक अमेरिका में नौकरी कर सकते हैं, लेकिन कंपनियों को नए आवेदनों के लिए $100,000 (लगभग ₹88 लाख) का शुल्क देना होगा. या यूं कहे कि अमेरिकी कंपनियां अब कम खर्चीला विदेशी टैलेंट हायर करने की बजाय अमेरिकी नागरिकों को ही नौकरी देने पर ज़्यादा फोकस करेंगी.

अमेरिका में H-1B वीजा को अमेरिकन ड्रीम का टिकट माना जाता है, क्योंकि इसकी मदद से छह साल तक जॉब किया जा सकता हैं. कई बार ऐसा भी होता है कि विदेशी वर्कर्स को ये वीजा मिल जाता है, लेकिन फिर उनकी नौकरी भी चली जाती है जिसके चलते उन्हें वीजा को गंवाना पड़ जाता है. ये हम नहीं अमेरिका के एक विदेशी वर्कर ने खुद अपनी आप बीती बताई है.

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के रेडिट पर एक पोस्ट में विदेशी वर्कर ने कहा, उसने नौकरी गंवाने के बाद भी H-1B वीजा स्टेटस नहीं गंवाया. इसके लिए उसका 'इस साल H-1B सेलेक्शन हुआ, फिर 1 अक्टूबर से पहले छंटनी हो गई' यूजर ने लिखा, 'जनवरी 2025 में उसे न्यूयॉर्क सिटी में एक नामी कंपनी में फुल-टाइम एनालिस्ट (कंसल्टिंग) की जॉब भी मिली. अप्रैल 2025 लॉटरी में सेलेक्शन (दूसरे मौके पर STEM OPT) हुआ. 7 जुलाई 2025 को H-1B वीजा अप्रूवल नोटिस मिला.'




