वाराणसीः कैंट से रथयात्रा तक बन रहा देश का पहला सार्वजनिक परिवहन रोपवे अब अंतिम चरण की ओर बढ़ चला है. करीब 3.75 किलोमीटर लंबे इस रोपवे कॉरिडोर में सुरक्षा और संचालन दक्षता बढ़ाने के लिए अत्याधुनिक स्काडा (SCADA) सिस्टम इंस्टाल कर दिया गया है. यह सिस्टम हर टावर पर लगाए गए छह आधुनिक कैमरों के जरिए रोपवे की गति, दिशा और स्थिति की रीयल टाइम निगरानी करेगा.
22 सितंबर से शुरू होगा लोड टेस्ट
22 सितंबर से मोनो केबल डिटैचेबल गोंडोला (केबल कार) का भार परीक्षण (लोड टेस्ट) शुरू किया जाएगा. प्रत्येक गोंडोला पर 800 किलो तक वजन डालकर परीक्षण किया जाएगा. वजन के लिए लोहे की प्लेटें और बालू की बोरियां इस्तेमाल होंगी. लोड टेस्टिंग तीन से चार चरणों में पूरी की जाएगी. शुरुआत में कुछ गोंडोला ही चलाए जाएंगे, फिर धीरे-धीरे संख्या बढ़ाकर एक साथ 10 गोंडोला के मूवमेंट का परीक्षण होगा. इस प्रक्रिया में 15 से 20 दिन का समय लगने का अनुमान है.
अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की निगरानी
ट्रायल की सुरक्षा और तकनीकी सटीकता सुनिश्चित करने के लिए ऑस्ट्रिया से दो विशेषज्ञ वाराणसी पहुंच चुके हैं, जबकि अन्य तकनीकी अधिकारियों के आने का इंतजार है.
अक्टूबर में पूरा होगा पहला चरण
अक्टूबर के पहले सप्ताह तक लोड टेस्ट पूरा करने की योजना है. कैंट से रथयात्रा तक का काम लगभग समाप्त हो चुका है. इसके बाद परियोजना जनता को सौंपी जाएगी. हालांकि, किराया निर्धारण पर अभी अंतिम निर्णय नहीं हुआ है. इसके लिए 10 और 11 सितंबर को आने वाली पीएमओ टीम से चर्चा की जाएगी.
नवंबर तक लगेगा शिखर
कैंट, विद्यापीठ और रथयात्रा के रोपवे स्टेशनों पर श्री काशी विश्वनाथ धाम जैसा शिखर लगाया जाना शेष है. इसका निर्माण नोएडा में चल रहा है और इसे नवंबर तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.
गोदौलिया तक दिसंबर तक काम
पहले चरण के बाद दूसरा चरण रथयात्रा से गोदौलिया तक (करीब आधा किलोमीटर) का है. यहाँ टावर और स्टेशनों का काम जारी है. उम्मीद है कि दिसंबर तक यह भी पूरा हो जाएगा. बता दें कि वाराणसी का यह रोपवे न केवल देश की पहली पब्लिक ट्रांसपोर्ट रोपवे परियोजना है, बल्कि इससे स्थानीय लोगों और पर्यटकों को जाम से बड़ी राहत मिलेगी.