बीएचयू में विविध आरंभ कला प्रदर्शनी शुरू, आस्ट्रेलिया, बांग्लादेश व भारत के कलाकार हुए शामिल

वाराणसीः काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के दृश्य कला संकाय, चित्रकला विभाग एवं बोहेमियन के संयुक्त तत्वावधान में “विविध आरंभ” कला प्रदर्शनी का शुभारंभ गुरुवार को बीएचयू परिसर स्थित आहिवासी कला वीथिका में हुआ. प्रदर्शनी का उद्घाटन दृश्य कला संकाय की संकाय प्रमुख प्रो. उत्तमा दीक्षित ने किया. इस अवसर पर प्रदर्शनी के संयोजक डॉ. सुरेश चंद्र जांगिड़ ने कलाकारों का परिचय करवाते हुए प्रदर्शनी की अवधारणा को स्पष्ट किया. प्रदर्शनी में अपने बनाए चित्रों में शामिल कलाकार दुनिया के विभिन्न हिस्सों से हैं. इनमें फ़रियाज़ इमरान, निहारिका अवोना बरसात और मेधा पारोमिता बांग्लादेश से हैं जबकि लिसा फ़ॉक ऑस्ट्रिया से हैं. वहीं शेष कलाकार इस समूह में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.
उद्घाटन के अवसर पर प्रोफेसर ब्रह्मस्वरूप, डॉ . शांति स्वरूप सिन्हा, डॉ. महेश सिंह, श्री सुरेश नायर, डॉ. ललित मोहन सोनी, डॉ. आशीष गुप्ता, श्री विजय भगत, डॉ. मिथुन दत्ता, श्री कृष्णा सिंह, डॉ. सुनील पटेल समेत अनेक कलाकार एवं आचार्यगण, शोधार्थी -विद्यार्थी तथा बड़ी संख्या में कला प्रेमी उपस्थित रहे.

कलाकारों की भागीदारी और कृतियाँ
इस प्रदर्शनी में शामिल सभी युवा कलाकार फ्रीलांसर के रूप में शुरुआत करने से ठीक पहले अपने कौशल का परीक्षण चित्रों के माध्यम से कर रहे हैं. ये चित्र उनकी युवा ऊर्जा की भरपूर अभिव्यक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं. कहा जा सकता है कि ये अपने चित्रों के माध्यम से कला शैली की खोज कर रहे हैं. अपनी शैली की खोज में सृजित किए गए ये चित्र साथ मिलकर कलात्मक अभिव्यक्ति का एक सुंदर ताना बाना प्रस्तुत करते हैं. इस ताने-बाने में विभिन्न सांस्कृतिक पृष्ठभूमियों, कला माध्यमों, चित्रसतहों और शैलियों के रंगीन धागे हैं. इसके अलावा, ये 26 युवा कलाकार अपने जीवन के उस मोड़ पर पहुँच गए हैं, जहाँ से वे आत्म-अभिव्यक्ति की यात्रा शुरू करने के लिए तैयार हैं, क्योंकि वे इस वर्ष ललित कला में अपनी स्नातक की डिग्री पूरी करने जा रहे हैं.

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कलाकारों ने चित्रों के माध्यम से दिए कई संदेश
प्रदर्शनी में फ़रियाज़ इमरान, दिव्य प्रभा सिंह, प्रभा सिंह और शिवम सरोज ने प्रकृतिवादी चित्रों के माध्यम से अपनी अभिव्यक्ति को आकार दिया है. दूसरी ओर कार्तिकेय पालीवाल, निशिता जैन, साक्षी अग्रवाल, लक्ष्य शर्मा, हिमांशी तोमर और रामनयन अपरंपरागत माध्यमों के साथ प्रयोग करते हैं।. लिसा फॉक, इशिता सेन, ज्ञानेंद्र उपाध्याय और सुनील कुमार यादव भारतीय लघु चित्रों की शांति से प्रेरित होकर चित्रांकन करते हैं.
नेहा कुमारी, अजीत कुमार, शिवम सरोज, राजन पाल, अखिलेश कुमार, मणि कुमार और रोमा ने अपनी कलाकृतियों में प्रतीकात्मक भाषा का प्रयोग किया है. वहीं प्रतिवा हेम्ब्रम, अपर्णा सिंह और निहारिका अवोना बरसात लोक परंपराओं से प्रभावित हैं. इस प्रकार यह चित्र प्रदर्शनी अपने विविधताओं को सीमेंट हुए फूलों के गुलदस्ते के समान है जिसमें अनेक रंगों के फूल उसकी सुंदरता को बढ़ा रहे हैं.

6 सितंबर तक रहेगी प्रदर्शनी
दृश्य कला संकाय की संकाय प्रमुख प्रो. उत्तमा दीक्षित के अनुसार इस प्रदर्शनी का उद्देश्य नवोदित कलाकारों को अपनी कला प्रदर्शन करने का एक मंच प्रदान करना है ताकि वे भविष्य के लिए संभावनाएं तलाश सके. यह प्रदर्शनी 6 सितंबर तक प्रतिदिन 11 से 4:00 बजे तक दर्शकों के अवलोकन के लिए खुली रहेगी.





