वाराणसी : काशी हिंदू विश्वविद्यालय के भारत अध्ययन केंद्र द्वारा आयोजित 15 दिवसीय "वास्तुविद्या (Indian Science of Architecture)" विषयक विशेष पाठ्यक्रम का समापन गुरुवार को हुआ. पाठ्यक्रम के अंतिम दिन देश के ख्यातिप्राप्त ज्योतिषाचार्य एवं वास्तुविद् आचार्य प्रो. विनय कुमार पाण्डेय (ज्योतिष विभाग, संस्कृतविद्या धर्मविज्ञान संकाय) ने 'निमित्त भवन प्रारूप में सुधार' विषय पर शास्त्रसम्मत व्याख्यान प्रस्तुत किया.
उन्होंने भवनों के भेद, द्वारों की दिशा, वेध दोष और उनके परिहार, जल संसाधनों की स्थापना, सोपान व्यवस्था, देवगृह, शयनकक्ष, भोजनशाला, अध्ययनकक्ष एवं शौचालय जैसे विभिन्न आयामों पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि वास्तुविद्या केवल निर्माण की तकनीक नहीं, बल्कि दिशाओं, ऊर्जा और प्राकृतिक तत्वों के साथ सामंजस्य का विज्ञान है. व्याख्यान के पश्चात प्रतिभागियों की जिज्ञासाओं का समाधान भी शास्त्रीय आधार पर किया गया.
वास्तुशास्त्र के व्यावहारिक प्रयोजन का रेखांकन
समापन सत्र में भारत अध्ययन केंद्र के समन्वयक प्रो. सदाशिव कुमार द्विवेदी ने वास्तुशास्त्र के व्यावहारिक प्रयोजन को रेखांकित करते हुए कहा कि निर्माण कार्य में प्राकृतिक तत्वों और दिशाओं के साथ संतुलन ही वास्तु का मूल है. उन्होंने प्रतिभागियों और वक्ताओं के प्रति आभार जताया और भविष्य में इस प्रकार की और अल्पकालिक कार्यशालाओं के आयोजन का संकल्प भी व्यक्त किया. अंत में प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र वितरित किए गए.
वास्तु विद्या एक अकादमिक विषय
कार्यक्रम के संयोजक डॉ. ज्ञानेन्द्र नारायण राय ने व्याख्यान सत्र का संचालन करते हुए कहा कि वर्तमान समय में वास्तुविद्या को एक अकादमिक विषय के रूप में अपनाया जाने लगा है, जिसे बैचलर ऑफ आर्किटेक्चर तथा स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर जैसे पाठ्यक्रमों में शामिल किया गया है. इस विशेष पाठ्यक्रम में भारत के विभिन्न राज्यों के साथ-साथ श्रीलंका, नेपाल और बांग्लादेश से भी प्रतिभागियों ने सहभागिता की_