
Diwali 2025: दीवाली यानी रोशनी, खुशहाली और नई शुरुआत का त्योहार. इस दिन हर घर में दीपक जलते हैं, मिठाइयां बनती हैं और लोग मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं ताकि घर में धन, सुख और समृद्धि बनी रहे. लेकिन आपने ध्यान दिया होगा कि दीवाली की पूजा में हमेशा मां लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश जी की भी आराधना की जाती है. यह परंपरा सिर्फ एक धार्मिक रिवाज नहीं, बल्कि इसके पीछे गहरा आध्यात्मिक और जीवन से जुड़ा संदेश छिपा है. लक्ष्मी जी को धन और संपन्नता की देवी माना गया है, जबकि गणेश जी को बुद्धि, विवेक और सफलता के देवता. आइए जानते हैं कि दीवाली पर मां लक्ष्मी के साथ गणेश जी की पूजा क्यों जरूरी मानी जाती है.

भारत में दिवाली का पर्व बहुत ही खास माना जाता है. दिवाली को दीपावली और दीप उत्सव के नाम से भी जाना जाता है. लोग इस दिन अपने घरों को दीपों और रंग बिरंगी लाइट्स से सजाते हैं. दीवाली पर मां लक्ष्मी के साथ गणेश जी की पूजा इसलिए की जाती है क्योंकि लक्ष्मी जी धन की देवी हैं और गणेश जी बुद्धि और सफलता के देवता. माना जाता है कि धन तभी स्थायी होता है जब उसके साथ विवेक और समझ भी हो. पुराणों के अनुसार लक्ष्मी जी ने वरदान दिया था कि जहां उनकी पूजा होगी, वहां गणेश जी की भी आराधना होगी.
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु की पत्नी मां लक्ष्मी और भगवान शिव के पुत्र गणेश जी का एक खास संबंध है. कहा जाता है कि लक्ष्मी जी को गणेश जी बहुत प्रिय हैं, क्योंकि वे सिद्धि और बुद्धि के स्वामी हैं. धन तभी स्थायी रहता है जब उसके साथ बुद्धि और विवेक भी जुड़ा हो. इसलिए जहां मां लक्ष्मी को धन का प्रतीक माना जाता है, वहीं गणेश जी उस धन के सही उपयोग और प्रबंधन के प्रतीक हैं. यही वजह है कि हर शुभ कार्य की शुरुआत गणेश जी के नाम से होती है और दीवाली पर लक्ष्मी पूजन में उनकी उपस्थिति को बहुत शुभ माना जाता है.

पौराणिक कथाओं के अनुसार, अगर लक्ष्मी जी की पूजा अकेले की जाए तो धन तो आता है, लेकिन वह टिकता नहीं. क्योंकि धन के साथ विवेक न हो तो वह अहंकार और लोभ का कारण बन सकता है. गणेश जी की पूजा लक्ष्मी जी के साथ करने से बुद्धि, संयम और स्थिरता आती है. यानी अगर लक्ष्मी धन देती हैं तो गणेश जी उस धन को स्थायी और उपयोगी बनाते हैं. इसलिए दीवाली के दिन जब लोग धन की देवी को अपने घर आमंत्रित करते हैं, तो वे गणेश जी से यह प्रार्थना भी करते हैं कि वे इस धन का सदुपयोग करने की बुद्धि और समझ दें.

धार्मिक कथाओं के अनुसार, एक बार लक्ष्मी जी ने भगवान विष्णु से कहा कि वे भी किसी पुत्र की मां बनना चाहती हैं. विष्णु जी ने कहा कि वे सदैव जगत की माता हैं, इसलिए उन्हें पुत्र का अनुभव नहीं होगा. तब लक्ष्मी जी ने पार्वती जी से निवेदन किया कि वे अपने पुत्र गणेश को कुछ समय के लिए उन्हें दे दें. गणेश जी कुछ समय तक लक्ष्मी जी के साथ रहे और उन्होंने लक्ष्मी जी को प्रसन्न किया. उस दिन से लक्ष्मी जी ने वरदान दिया कि जहां मेरी पूजा होगी, वहां गणेश जी की भी पूजा जरूर होगी. तभी से दीवाली पर गणेश-लक्ष्मी पूजन का यह पवित्र संयोग चला आ रहा है. तभी से गणेश और लक्ष्मी जी की पूजा-अर्चना एक साथ की जाती है.




